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उस समय सूत्र पढ़ने से दोष लगता है । साधु धर्म में दशवैकालिक
जैसे
आदि सूत्रों के पढ़नेका नियम है वैसे ही श्रावकधर्ममे भी स्थविरावलि आदि सूत्रोंके
पढ़नेका नियम है | विधिका पालन न किया जाय
तो दोष लगे ।
ज्ञानोपगरण- ज्ञान के
ज्ञानके साधन |
पाटी - लकड़ीकी पट्टी |
पोथी - हस्तलिखित ग्रन्थ अथवा
उपकरण,
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पट्टी |
मांज्यो- -साफ किया, मिटाया । ओशीसे धर्यो - मस्तक के नीचे
नीचे
तकिया दिया । मूलमें 'सीसह ataउं' ऐसा पाठ है !
।
कन्हें पास में । नीहार - मल विसर्जन । प्रज्ञापराधे विणास्यो - मन्द बुद्धिके
कारण नष्ट किया ।
विणसतो उवेख्यो कोई नष्ट
करता हो, तो भी उपेक्षा
की हो ।
कोधी - अश्रद्धा की हो, श्रद्धा न रखी हो ।
तोतडो- तुतलाता हुआ बोला । रुकते - रुकते अक्षर बोलने को तोतड़ा - तोतला कहते हैं । बोबडो - अस्पष्ट गुनगुनाकर बोला । कवली-बाँसकी सलाइयोंका पुस्तक हस्यो - हँस-हँस कर बोला ।
पुस्तक ।
ठवली - स्थापनिका ।
वित- मिथ्या तर्क किया हो ।
अन्यथा प्ररूपणा कीधी - शास्त्र के
पर लपेटनेका साधन । पाठान्तर कमली शब्द है । दस्तरी - छुट्टे कागज रखने के लिये पुट्टेका साधन, सम्पुटिका । वही - कोरे कागजों की किताब, वही, चोपड़े । ओळियु-लिखे हुए कागजोंका
टिप्पण अथवा रेखा खींचनेकी
असद्दहणा
-
मूल भावका त्याग कर दूसरी तरह प्रतिपादन किया हो । विषइयो - विषयक, सम्बन्धी । अनेरो - अन्य ।
निःसंकिय.... अट्ठ || इस गाथा - के अर्थ के लिये देखो सूत्र २८
गाथा ३ ।
संबंधीया-सम्बन्धी ।
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