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________________ ४४० उस समय सूत्र पढ़ने से दोष लगता है । साधु धर्म में दशवैकालिक जैसे आदि सूत्रों के पढ़नेका नियम है वैसे ही श्रावकधर्ममे भी स्थविरावलि आदि सूत्रोंके पढ़नेका नियम है | विधिका पालन न किया जाय तो दोष लगे । ज्ञानोपगरण- ज्ञान के ज्ञानके साधन | पाटी - लकड़ीकी पट्टी | पोथी - हस्तलिखित ग्रन्थ अथवा उपकरण, Jain Education International पट्टी | मांज्यो- -साफ किया, मिटाया । ओशीसे धर्यो - मस्तक के नीचे नीचे तकिया दिया । मूलमें 'सीसह ataउं' ऐसा पाठ है ! । कन्हें पास में । नीहार - मल विसर्जन । प्रज्ञापराधे विणास्यो - मन्द बुद्धिके कारण नष्ट किया । विणसतो उवेख्यो कोई नष्ट करता हो, तो भी उपेक्षा की हो । कोधी - अश्रद्धा की हो, श्रद्धा न रखी हो । तोतडो- तुतलाता हुआ बोला । रुकते - रुकते अक्षर बोलने को तोतड़ा - तोतला कहते हैं । बोबडो - अस्पष्ट गुनगुनाकर बोला । कवली-बाँसकी सलाइयोंका पुस्तक हस्यो - हँस-हँस कर बोला । पुस्तक । ठवली - स्थापनिका । वित- मिथ्या तर्क किया हो । अन्यथा प्ररूपणा कीधी - शास्त्र के पर लपेटनेका साधन । पाठान्तर कमली शब्द है । दस्तरी - छुट्टे कागज रखने के लिये पुट्टेका साधन, सम्पुटिका । वही - कोरे कागजों की किताब, वही, चोपड़े । ओळियु-लिखे हुए कागजोंका टिप्पण अथवा रेखा खींचनेकी असद्दहणा - मूल भावका त्याग कर दूसरी तरह प्रतिपादन किया हो । विषइयो - विषयक, सम्बन्धी । अनेरो - अन्य । निःसंकिय.... अट्ठ || इस गाथा - के अर्थ के लिये देखो सूत्र २८ गाथा ३ । संबंधीया-सम्बन्धी । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001521
Book TitlePanchpratikramansutra tatha Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year
Total Pages642
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Worship, religion, & Paryushan
File Size23 MB
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