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शब्दार्थ
इस सूत्रमें जो शब्द नवीन | अणशोध्ये-शोधन किये बिना,
तथा कठिन हैं, उनके उसके अन्तर्गत अशुद्धिमय
.. अर्थ यहाँ दिये जाते हैं। पदार्थको दूर किये बिना। नाम्म-भणिओ० ॥ इस / अणपवेसे -- योगोद्वहनादि क्रिया
गाथाके अर्थ के लिये देखो सूत्र द्वारा सिद्धान्त पढ़ने में प्रवेश २८ गाथा १ ।
किये बिना। सविहु-सब ही।
असज्झाय-अण्णो ( ण ) ज्झायकाले विणए-नाणमायारो ॥
माहे-अस्वाध्याय और अनइस गाथाके अर्थके लिये देखो
ध्यायके समय में। सूत्र २८ गाथा २।
जो संयोग पढ़नेके लिये अयोग्य काल-वेलाए-पढनेके समय ।
हो, वह अस्वाध्याय कहभण्यो गुण्यो नहीं-पढ़ा नहीं
लाता है और जो दिन और पढ़े हुएकी पुनरावृत्ति भी पढ़ने के लिये अयोग्य हो नहीं की।
वह अनध्याय - दिवस कूडो-झूठा, असत्य ।
कहलाता है। तदुभय-सूत्र और अर्थ ।
| प्रमुख-इत्यादि, वगैरा। काजो-कचरा, निरर्थक वस्तु । ।
पहले काजो उद्धरना चाहिये, देश्य कज्जल शब्दसे बना
फिर दण्ड यथाविधि पडिहुआ है।
लेहना चाहिये, तदनन्तर अणउद्धर्ये-निकाले बिना।
वसतिका बराबर शोधन दांडो-साधुके रखने योग्य दण्ड । करना चाहिये और क्रियाअणपडिलेहे - पडिलेहण किये पूर्वक स्वाध्यायमें प्रवेश बिना।
करना चाहिये। यदि अवसति-उपाश्रयके चारों ओर सौ
स्वाध्यायका काल हो अथवा सौ कदम दूर तकका स्थान। । अनध्यायका दिन हो, तो
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