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चूडेल, पतंगिआ, देडका, अलसियां, ईअल, कूदा, डांस, मसा, मगतरां, माखी, टिड्डी प्रमुख जीव का नाश किया । चील, काग, कबूतर आदि के रहने की जगह का नाश किया। घौंसले तोड़े । चलते फिरते या अन्य कुछ काम काज करते निर्दयपना किया। भली प्रकार जीव रक्षा न की। बिना छाने पानी से स्नानादि काम-काज किया, कपड़े धोये । यतना-पूर्वक काम-काज न किया । चारपाई, खटोला, पीढ़ा, पीढ़ी आदि धूप में रखे । डंडे आदि से झटकाये । जीवाकुल (जीव संसक्त) जमीन को लीपा । दलते. कूटते, लीपते या अन्य कुछ काम-काज करते यतना न की । अष्टमी, चौदस, आदि तिथि का नियम तोड़ा। धूनी करवाई, इत्यादि पहले स्थूल-प्राणातिपात-विरमण-व्रत सम्बन्धी जो कोई अतिचार पक्ष-दिवस में सूक्ष्म या वादर जानते, अजानते लगा हो, वह सब मन, वचन, काया से मिच्छामि दुक्कडं । __दूसरे स्थूल-मृषावाद-विरमण-व्रत के पाँच अतिचार"सहसा रहस्सदारे" सहसाकार-विना विचारे एक दम किसी को अयोग्य आल कलंक दिया। स्व-स्त्री सम्बन्धी गुप्त बात प्रगट की, अथवा अन्य किसी का मंत्र-भेद, मर्म प्रकट किया । किसी को दुःखी करने के लिए खोटी सलाह दी, झूठा लेख लिखा, झूठी साक्षी दी। अमानत ते खयानत की । किसी की धरोहर रखी हुई वस्तु वापिस न दी। कन्या,
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