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नयर - निवासिनी - नगरकी । असिवोवसमं - उपद्रवका नाश रहनेवाली।
करनेवाला। अम्ह-हमारा।
सिवं-कल्याण । सिवं-श्रेय।
भवतु-हो। तुम्ह-तुम्हारा। सिवं-कल्याण ।
स्वाहा-स्वाहा । अर्थ-सङ्कलना____ मैं श्रीअरिष्टनेमि तीर्थङ्करकी माता शिवादेवी तुम्हारे नगरकी रहनेवाली हूँ-नगरमें रहती हूँ। अतः हमारा और तुम्हारा श्रेय हो, तथा उपद्रवोंका नाश करनेवाला कल्याण हो ॥ २२॥ मूल
[ अनुष्टुप् ] (४) उपसर्गाः क्षयं यान्ति, छिद्यन्ते विघ्न-वल्लयः ।
मनः प्रसन्नतामेति, पूज्यमाने जिनेश्वरे ॥२३॥ शब्दार्थ
पूर्ववत् । अर्थ-सङ्कलना___ श्रीजिनेश्वरदेवका पूजन करनेसे समस्त प्रकारके उपसर्ग नष्ट हो जाते हैं, विघ्नरूपी लताएँ कट जाती हैं और मन प्रसन्नताको प्राप्त होता है ।। २३ ॥ मूल(५) सर्व-मङ्गल-माङ्गल्यं, सर्व-कल्याण-कारणम् ।
प्रधानं सर्व-धर्माणां, जैनं जयति शासनम् ॥
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