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ये जो । च - और ।
अन्ये अपि - दूसरे भी । ग्राम- नगर - क्षेत्र- देवतादयःग्रामदेवता, नगरदेवता, क्षेत्र
देवता आदि ।
ते–वे । सर्वे-स
- सब ।
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अर्थ- सङ्कलना
ॐ चन्द्र, सूर्य, मङ्गल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु आदि ग्रह; लोकपाल --- सोम, यम, वरुण, (और) कुबेर, तथा, इन्द्र, सूर्य, कार्तिकेय, विनायक आदि देव एवं ग्रामदेवता, नगरदेवता, क्षेत्रदेवता आदि दूसरे भी जो देव हों, वे सब प्रसन्न हों, प्रसन्न हों और राजा अक्षय कोश और कोठारवाले हों । स्वाहा ॥ ९ ॥ मूल
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ॐ ॐ ।
कलत
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मित्र- भ्रातृ पुत्र - सुहृत् - स्वजन -सम्बन्धि बन्धु - वर्ग सहिताः - पुत्र
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प्रीयन्तां प्रीयन्ताम् - प्रसन्न हों, प्रसन्न हों । अक्षीण कोश - कोष्ठागारा:अक्षय कोश और कोठारवाले ।
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(७) ॐ पुत्र - मित्र - भ्रातृ - कलत्र - सुहृत् - स्वजन - सम्बन्धि-बन्धुवर्ग-सहिता नित्यं चामोद -- प्रमोद - कारिणः
( भवन्तु स्वाहा ) ॥१०॥
शब्दार्थ
नरपतय:- राजा ।
च - और |
भवन्तु हों ।
स्वाहा - स्वाहा ।
मित्र, भाई, स्त्री, हितैषी,
स्नेहीजन तथा
स्वजातीय,
सम्बन्धी परिवारवाले ।
नित्यं नित्य ।
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