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अर्थ-सङ्कलना___ जो सर्वक्षेत्रमें और सर्वकाल में नाम, स्थापना, द्रव्य और भावनिक्षेपद्वारा तीनों लोकके प्राणियोंको पवित्र कर रहे हैं, उन अर्हतोंकी हम सम्यग् उपासना करते हैं ॥ २॥
मूल
आदिमं पृथिवीनाथमादिमं निष्परिग्रहम् । आदिमं तीर्थनाथं च, ऋषभ-स्वामिनं स्तुमः ॥३॥
शब्दार्थआदिम-पहले।
आदिमं-पहले। पृथिवीनाथं-पृथ्वीनाथकी, राजाको।
तीर्थनार्थ-तीर्थङ्करको।
च-और। आदिम-पहले।
ऋषभ-स्वामिन-श्रीऋषभदेवकी। निष्परिग्रहम-साधुको।
स्तुमः-हम स्तुति करते हैं।
अर्थ-सङ्कलना___पहले राजा, पहले साधु और पहले तीर्थङ्कर ऐसे श्रीऋषभदेवकी हम स्तुति करते हैं ॥ ३ ॥
मूल
अहेन्तमजितं विश्व-कमलाकर-भास्करम् । अम्लान-केवलादर्श-सक्रान्त-जगतं स्तुवे ॥ ४ ॥
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