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बहोराकर फिर पारणा करूँ ।' इतनेमें भगवान् महावीर वहाँ पधारे, जिनको कि दस बोलका अभिग्रह था । इन अभिग्रहके बोलों में से रुदनका एक बोल कम था यह देख कर वे पीछे फिरे । इसी समय चन्दनबालाकी आँखों में आँसू आ गये, यह देख भगवान् पीछे फिरे और चन्दनबालाके हाथसे पारण किया । उसी समय आकाश में देवदुन्दुभि बजी, पञ्चदिव्य प्रकट हुए | चन्दनबाला के मस्तकपर सुन्दर बाल आ गये और लोहेको बेड़ियोंके स्थानपर सुन्दर दिव्य आभूषण हो गये । सर्वत्र चन्दनबालाका जय -- जयकार हुआ । अन्तमें चन्दनबालाने भगवान् महावीरसे दीक्षा ली और साध्वी संघ में प्रधान बनी तथा क्रमशः केवली होकर मोक्षपदको प्राप्त हुई ।
३ मनोरमा : - जिनके शीलके प्रभावसे शूलीका सिंहासन बन गया था, उन सुदर्शन सेठकी पत्नी ।
४ मदनरेखा : - मणिरथ राजाके छोटे भाई युगबाहुकी अत्यन्त स्वरूपवती सुशील पत्नी । मणिरथने मदनरेखाको विचलित करनेके लिये अनेक यत्न किये, पर वे व्यर्थ गये । अन्त में युगबाहुका खून करवा दिया, परन्तु गर्भवती मदन रेखा भाग गयी । जङ्गलमें जाकर मंदनरेखाने एक पुत्रको जन्म दिया, जो प्रत्येक बुद्धके रूपमें नमिराज ऋषिके नामसे आगे जाकर प्रसिद्ध हुआ । कुछ समय पश्चात् मदनरेखाने दीक्षा लेकर आत्मकल्याण किया ।
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५ दमयन्ती : - विदर्भ - नरेश भीमराजाकी पुत्री और नलराजकी पत्नी । कथा प्रसिद्ध है ।
६ नर्मदासुन्दरी : - सहदेवकी पुत्री और महेश्वरदत्तकी स्त्री । शीलकी रक्षा के लिये इसने अनेक सङ्कटों का सामना किया था । अन्तमें श्री आर्य सुहस्तिरिसे दीक्षा ग्रहण की और अपनी योग्यतासे प्रवत्तिनीपद प्राप्त किया ।
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