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(९) इतना होनेपर भी यदि निद्रा पूर्णतया दूर न हो तो नाक
दबाना और श्वास रोकना । जिससे थोड़े ही समयमें निद्राका
दूर होना सम्भव है। (१०) निद्रा बराबर दूर होने पर यदि खिड़की अथवा द्वारसे प्रकाश
आता हो तो उसके सामने देखना तथा इस प्रकार सर्वथा
निद्रामुक्त होनेके पश्चात् ही जयणापूर्वक कायचिन्ता दूर करनी। 'प्रश्न-इसके बाद क्या किया जाता है ? उत्तर-बादमें सागारी अणसण किया जाता है । प्रश्न-वह किस तरह ? उत्तर--'यदि इस रात्रिमें ही मेरा मरण हो जाय तो आहार-पाणी,
वस्त्र-उपकरण और देहको मैं मन, वचन और कायासे वोसिराता हूँ' इस प्रकार गुरुके समक्ष प्रकट किया जाता है। इस तरहकी
एकरारवाली विज्ञप्तिको ‘सागारी अणसण' कहते हैं। प्रश्न-फिर क्या किया जाता है ? उत्तर-फिर मङ्गलभावना की जाती है तथा अरिहन्त, सिद्ध, साधु और
केवलिप्रणीत धर्म इन चारोंकी शरण अङ्गीकार की जाती है । प्रश्न-फिर क्या किया जाता है ? उत्तर-फिर अठारह पापस्थानकोंका त्याग करके आत्मानुशासन किया
जाता है। उसके बाद सर्व पौद्गलिक सम्बन्धोंका त्याग करके सम्यक्त्वको धारणा दृढ़ की जाती है और सब जीवोंके साथ खमत-खामणा करके सब पापोंका मिथ्यादुष्कृत किया जाता है । तदनन्तर रात्रिका संथारा किया जाता है ।
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