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१० तिवि(हा)हारका पच्चक्खाण । दिवसचरिमं पच्चक्खाइ ।
तिविहं पि आहारं-असणं खाइमं साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ ।
११ दुवि(हा)हारका पच्चक्खाण । दिवसचरिमं पच्चक्खाइ ।
दुविहं पि आहारं-असणं खाइम, अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्यसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ ।।
१२ देशावकाशिकका पच्चक्खाण । देशावगासियं उवभोग-परिभोगं पच्चक्खाइ ।
अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सब्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरह ॥ शब्दार्थ( सभी पच्चक्खाणोंके अर्थ एक | नमुक्कार- सहिअं मुट्टि- सहिअं साथ दिये हैं। बार बार -नमस्कार-सहित, मुष्टि-सहित । आनेवाले शब्दोंके अर्थ एक | पच्चक्खाइ-मन, वचन और
बार ही दिये गये हैं। ) ___ कायासे त्याग करता है, उग्गए सूरे-सूर्योदयके पश्चात् । प्रत्याख्यान करता है। दो धड़ीतक, सर्योदयसे दो चउन्विहं पि आहारं - चारों घड़ीतक।
प्रकारके आहारका ।
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