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१२. पोषधमें भली-बुरी राजकथा अथवा युद्धकथा करनी। १३. पोषधमें देशकथा करनी । १४. पोषधमें पूंजन-पडिलेहण विना लघुनीति अथवा बड़ीनीति परठवना। १५. पोषधमें किसीकी निन्दा करनी। १६. पोषधमें जिन्होंने पोषध नहीं लिया ऐसे माता, पिता, पुत्र, भाई,
स्त्री आदि सम्बन्धियोंसे वार्तालाप करना। १७. पोषधमें चोर सम्बन्धी बात करनी। १८. पोषधमें स्त्रियोंके अङ्गोपाङ्ग देखना।
४९ संथारा-पोरिसी
[ संस्तारक-पौरुषी ]
मूल
१ नमस्कार निसीहि, निसीहि, निसीहि,
नमो खमासमणाणं गोयमाइणं महामुणीणं ॥ शब्दार्थनिसीहि-अन्य सर्व प्रवृत्तियोंका । खमासमणाणं-क्षमा-श्रमणोंको। निषेध करता हूँ।
गोयमाइणं-गौतम आदि । नमो-नमस्कार हो। | महामुणिणं-महामुनियोंको।
प्र-१७
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