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थो, जो इनके हाथसे पानी छिटकानेपर शान्त हो जाती थी । अन्तमें प्रभुसे दीक्षा लेकर मोक्षमें गयीं।
२७ जयन्ती :-ये शतानीक राजाकी बहिन और महारानी मृगावतीकी ननद थीं, और पूर्ण विदुषी थीं। इन्होंने प्रभु महावीरसे कुछ तात्त्विक प्रश्न पूछे थे, जिनके प्रत्युत्तर प्रभुने दिये थे। अन्ततः दीक्षा लेकर, कर्मक्षय करके मोक्षमें गयीं।
२८ देवकी :-ये वासुदेवकी पत्नी और श्रीकृष्णकी माता थीं। इनके भाई कंसको किसी मुनिके कहनेसे ज्ञात हुआ कि देवकीका पुत्र तुझे मारेगा। इस कारण देवकीके जो बालक उत्पन्न होता उसको कंस लेकर मार डालता। परन्तु देव-प्रभावसे वे देवकोके बालक भद्दिलपुरमें नागसेठके यहाँ पलते थे। और उसकी पत्नी जिन मृत बालकोंको जन्म देती थी, वे यहाँ आते थे । इस प्रकार छः बालक कंसको सौंपे गये थे । सातवाँ पुत्र नन्दकी यशोदाको सौंपा गया और उसकी बालक-पुत्री कंसको दी गयी । ये सातवें पुत्र ही श्रीकृष्ण थे। कालान्तरमें देवकीने सम्यक्त्व सहित श्रावकके बारह व्रत ग्रहण किये और उनका उचितरूपेण पालन किया था।
२९ द्रौपदी :-पाण्डवोंकी पत्नी । कथा प्रसिद्ध है ।
३० धारिणी :-ये चेटक महाराजाको पुत्री और चम्पापुरीके महाराजा दधिवाहनकी पत्नी थीं। तथा चन्दनबालाकी ये माता थीं। एक बार शतानीक राजाके नगरपर चढ़ाई करनेसे धारिणी अपनी पुत्री वसुमतीको लेकर भाग गयी। इतने में किसी सैनिकने उसको पकड़ लिया और मार्गमें अनुचित माँग की । ऐसे समयमें धारिणीने शीलकी रक्षाके लिये जीभ काटकर प्राण-त्याग किया।
३१ कलावती :-ये शङ्ख राजाको शीलवती स्त्री थीं। एक समय भाई द्वारा प्रेषित कङ्कणोंकी जोड़ी पहनकर ये प्रशंसाके वाक्य कहती थीं,
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