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अर्थ-सङ्कलना
शान्तिके गृहसमान, प्रशमरस-निमग्न और अशिवका नाश करनेवाले श्रीशान्तिनाथ भगवान्को नमस्कार करके, स्तुति करनेवाले की शान्तिके लिये मैं मन्त्र-गर्भित पदोंसे शान्ति करने में निमित्तभूत ऐसे साधन (तन्त्र) का वर्णन करता हूँ॥१॥ मूल
(श्रीशान्ति-जिन-नाम-मन्त्र-स्तुति) ओमिति निश्चितवचसे, नमोनमो भगवतेऽर्हते पूजाम् । शान्तिजिनाय जयवते, यशस्विने स्वामिने दमिनाम् ॥२॥ शब्दार्थ
• ओम्-ॐकार, परम-तत्त्वकी } अर्हते पूजाम्-द्रव्य तथा भावविशिष्ट संज्ञा।
। पूजाके योग्य । इति-ऐसे।
शान्तिजिनाय-श्रीशान्तिजिनके निश्चितवचसे-व्यवस्थित वचन लिये, श्रीशान्तिजिनको। वाले।
| जयवते-जयवान् । नमो नमः-नमस्कार हो, नम- यशस्विने-यशस्वी । स्कार हो।
स्वामिने दमिनाम्-योगियोंके भगवते-भगवान्को। __ स्वामी, योगीश्वर ।
अर्थ-सङ्कलना
ॐ पूर्वक नाममन्त्रका प्रारम्भ करते हैं। (१) व्यवस्थित वचनवाले, (२) भगवान्, (३) द्रव्य तथा भावपूजाके योग्य, (४)
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