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पुष्टि और क्षेम करो, क्षेम
करो ।
१९९
जनानाम् - मनुष्यों के लिये ।
अर्थ-सङ्कलना
छ
हे भगवती ! हे गुणवती ! आप यहाँ मनुष्योंके लिये निरुपद्रवता, शान्ति, तुष्टि, और क्षेम करो, क्षेम करो, 'ॐ नमो नमो, ह्रां ह्रीं हँ ह्रः यः क्षः ह्रीँ फट् फट् स्वाहा ||१४||
मूल
शब्दार्थ
एवं - ऊपर कहे अनुसार यन्नामाक्षर - पुरस्सरं - जिनके नाम - मन्त्र और अक्षर-मन्त्रोंकी पुरश्चर्या - पूर्वक । संस्तुता- अच्छी तरह स्तुति की
}
हुई जयादेवी - जयादेवी ।
अर्थ- सङ्कलना
ॐ नमो नमो हाँ ह्रीं ह्रूं ह्रः यः क्षः ह्रीं फट् फट्ा
एवं यन्नामाक्षर - पुरस्सरं संस्तुता जयादेवी | कुरुते शान्ति नमतां, नमो नमः शान्तये तस्मै ॥ १५॥
स्वाहा यह एक प्रकारका षोडशी ( देवी ) मन्त्र है
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कुरुते शान्ति - शान्ति करती है । नमतां - नमन करनेवालोंको । नमो नमः - नमस्कार हो, नमस्कार हो ।
शान्तये तस्मै - उन श्रीशान्तिनाथ भगवान्को ।
ऊपर कहे अनुसार जिनके नाम - मन्त्र और अक्षर - मन्त्रोंकी पुरश्चर्या-पूर्वक अच्छी तरह स्तुति की हुई ( विजया - ) जयादेवी
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