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दसणनाणेहि-दर्शन और ज्ञान- मुक्ख-मग्ग-मोक्ष-मार्गको। द्वारा, सम्यगदर्शन और
सा-वह, वे। सम्यग्ज्ञानद्वारा। चरण-सहिएहि-चारित्रसहित,
देवी-देवी, क्षेत्रदेवता, सम्यक्चारित्र सहित ।
हरउ-हरण करें, दूर करें। साहति-साधते हैं। | दुरिआई-दुरितोंको, विघ्नों को। अर्थ-सङ्कलना
क्षेत्रदेवताकी आराधनाके लिये कायोत्सर्ग करता हूँ। जिनके क्षेत्रमें साधुगण सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र सहित मोक्ष-मार्गको साधते हैं, वे क्षेत्रदेवता दुरितोंको-विघ्नोंको दूर करें॥१॥ सूत्र-परिचय
यह स्तुति क्षेत्रदेवताकी है और इसको पुरुष ही बोलते हैं ।
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३७ श्रुतदेवता-स्तुतिः
[ 'कमल-दल'-स्तुति ] मूल
[ गाहा ] कमल-दल-विपुल-नयना, कमल-मुखी कमलगर्भ--सम-गौरी। कमले स्थिता भगवती, ददातु श्रुतदेवता सिद्धिम् ॥१॥ शब्दार्थकमल-दल-विपुल-नयना
| कमल-मुखी-कमल जैसे मुखकमल-पत्र जैसे विशाल नय
वाली। नोंवाली।
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