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३ प्रकट 'लोगस्स' कहकर एक 'खमासमण' देना। तदनन्तर४ 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! मुहपत्ती पडिलेहुं ?' 'इच्छं' ऐसा
कहकर मुहपत्तो पडिलेहना। बादमें एक 'खमासमण' देकर 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! सामायिक पारु ?' 'यथाशक्ति' ऐसा कहकर'खमासमण' देकर 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! सामायिक
पार्यु ?' 'तहत्ति' ऐसा कहकर७ दाहिना हाथ चरवला अथवा कटासण पर रखकर एक नमस्कार
गिनकर 'सामाइय-वय-जुत्तो' सूत्र कहना । फिर दाहिना हाथ सीधा रख कर, एक नमस्कार गिन स्थापनाचार्यको योग्य स्थानपर स्थापित करना । एक साथ दो या तीन सामायिक कर सकते हैं, उसमें हरसमय सामायिक लेनेकी विधि करना, परन्तु उसमें 'सज्झाय करूँ' के स्थानपर 'सज्झायमें हैं' ऐसा कहना, और प्रत्येक समय सामायिक पारना नहीं । दो सामायिक करने हों तो दो पूरे होने पर
और तीन करने हो तो तीन पूरे होने पर, एक बार पारना । यदि एक ही साथ आठ-दस सामायिक करने हों तो भी तीन तीन सामायिक पूरे होने पर पारना चाहिये ।
चैत्यवंदनकी विधि १ प्रथम तीन ‘खमासमण' देना, फिर बाँया घुटना खड़ा रखकर
उत्तरासन डालकर दोनों हाथ जोड़, ‘इच्छाकारेण संदिसह भगवन् !
चेइयवंदणं करेमि' 'इच्छं' कहकर२ 'जगचिंतामणि' चैत्यवन्दन कहना, अथवा 'सकल-कुशलवल्ली'
स्तुति x कहकर कोई भी पूर्वाचार्य-कृत चैत्यवन्दन कहना । x सकलकुशलवल्ली पुष्करावर्तमेघो, दुरिततिमिरभानुः कल्पवृक्षोपमानः ।
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