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पर हुए हैं, उन धर्मचक्रवर्ती श्रीअरिष्टनेमि भगवान्के लिये मैं नमस्कार करता हूँ ।। ४॥ ___ चार, आठ, दस, और दो ऐसे क्रमसे वन्दन किये हुए चौबीसों जिनेश्वर तथा जो मोक्ष-सुखको प्राप्त किये हुए हैं, ऐसे सिद्ध मुझे सिद्धि प्रदान करें ॥५॥ सूत्र-परिचय___ इस सूत्रमें सिद्ध भगवन्तोंकी स्तुति की गयी है, इसलिये यह 'सिद्ध-थुई' कहाती है।
सिद्ध भगवन्त प्रश्न-सिद्ध भगवन्त किसे कहते हैं ? उत्तर-जो आत्माएँ कर्मके सम्पूर्ण नाशद्वारा अपना शुद्ध स्वरूप प्रकट ___ करें वे सिद्ध भगवन्त कहाते हैं । प्रश्न-सिद्ध भगवन्त कैसे होते हैं ? उत्तर-जो सिद्ध हों, बुद्ध हों, पारङ्गत हों, परम्परागत हों और लोकके
अग्रभागपर विराजित हों। प्रश्न-सिद्ध अर्थात् ? उत्तर-कृतकृत्य । जिनको अब कुछ करना शेष नहीं रहा, वे कृतकृत्य
कहाते हैं। प्रश्न-बुद्ध अर्थात् ? उत्तर-सर्वज्ञ और सर्वदर्शी । जो केवलज्ञानसे सर्व वस्तुओंको जानते हैं वे
सर्वज्ञ और जो केवलदर्शनसे सर्व वस्तुओंको देख सकते हैं, वे सर्वदर्शी। प्रश्न-पारङ्गत अर्थात् ?
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