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१३८ निल्लंछणं-निर्लाञ्छन-कर्म, अङ्ग- (५) स्फोटक कर्म-पृथ्वी च्छेदन-कर्म ।
तथा पत्थर फोड़ने का च-और ।
कार्य। दव-दाणं-दव-दान-कर्म, वन, (६) दन्त - वाणिज्य-हाथी क्षेत्र आदि में आग लगानेका
। दाँत आदिका व्यापार । व्यापार।
(७) लाक्षा - वाणिज्य-लाख सर-दह-तलाय-सोसं-सरोवर, । आदिका व्यापार ।
स्रोत, तालाब आदिको (८) रस-वाणिज्य-दूध, दही, सुखानेका कार्य।
घृत, तेल आदिका व्यापार । असई-पोसं-असती-पोषण-कर्म । (९) केश - वाणिज्य - जहर वज्जिज्जा-मैं छोड़ देता हूँ।
___ और जहरीले पदार्थोंका जिस कर्म अथवा व्यापारसे
व्यापार । बहुत कर्म-बन्धन हो, उसे
(१०) यन्त्र-पीलन-कर्म-चक्की, कर्मादान कहते हैं। बाई
घाणी आदि अन्न तथा
बीज पीसनेका कार्य । सवीं और. तेईसवों गाथामें
(११) निर्लाञ्छन-कर्म-- पशुओंपन्द्रह कर्मादानोंके नाम
के अङ्गोंको छेदना, काटना, दिये हैं, वे इस तरह हैं :
आँकना, डाम लगाना तथा (१) अङ्गार-कर्म-जिसमें अग्नि
गलानेका कार्य । का अधिक काम पड़ता हो,
(१२) दव-दान-कर्म-वनमें ऐसा कार्य।
आग लगानेका कार्य । (२) वन-कर्म-जिसमें वन
(१३) जल-शोषण-कर्म--सरोस्पतिका अधिक समारम्भ
वर, स्रोत तथा तालाब हो ऐसा कार्य ।
आदि सुखानेका कार्य । (३) शकट-कर्म-गाड़ी बनाने
(१४) असती-पोषण-कर्मका कार्य ।
कुलटा अथवा व्यभिचारिणी (४) भाटक-कर्म-किराये पर स्त्रियों तथा हिंसक पशुओंवाहन चलानेका कार्य । .
के पोषणका कार्य ।
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