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शब्दार्थ
वह-बंध-छविच्छेए-मारते भूखा-प्यासा रखनेसे । (फटकारते), बाँधते और भत्त-भोजन । पाण-पानी । अङ्गोपाङ्ग छेदते ।
वुच्छेअ-विच्छेद करना, नहीं देना । वह-पशु अथवा दास
पढम-वयस्स-पहले व्रतके दासी आदिको निर्दयता-पूर्वक विषयमें। मारना । बंध-पशु अथवा दासदासी आदिको रस्सी या
इआरे-अतिचारोंको। साँकलसे बाँधना । छविच्छेअ
यहाँ मूल शब्द अइआरे अङ्गोपाङ्ग अथवा चमड़ी छेदना।
है, पर पूर्वके अकारका लोप
होनेसे इआरे ऐसा पाठ बोला अइभारे-बहुत बोझा भरनेसे । जाता है । भत्त-पाण-वुच्छेए-भोजन | पडिक्कमे देसि सव्वंऔर पानीका विच्छेद करनेसे, पूर्ववत् ।।
अर्थ-सङ्कलना___ प्राणियोंको मारनेसे (फटकारनेसे), रस्सी आदि बाँधनेसे, अङ्गोपाङ्ग छेदनेसे, बहुत बोझा भरनेसे और भूखा-प्यासा रखनेसे, पहले व्रतके विषयमें, दिवस--सम्बन्धी छोटे-बड़े जो अतिचार लगे हों, उन सबसे मैं निवृत्त होता हूँ॥ १०॥
बीए अणुव्वयम्मी, परिथूलग-अलिय-वयणविरईओ। आयरियमप्पसत्थे, इत्थ पमाय-प्पसंगेणं ॥११॥
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