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१०० उस्सुत्तो उम्मग्गो अकप्पो अकरणिज्जो, दुज्झाओ दुविचिंतिओ, अणायारो अणिच्छिअव्वो असावग-पाउग्गो, नाणे दंसणे चरित्ताचरित्ते सुए सामाइए । तिण्हं गुत्तीणं, चउण्हं कसायाणं,
पंचण्हमणुव्वयाणं, तिण्हं गुणव्वयाणं, चउण्हं सिक्खावयाणं,
बारसविहस्स सावगधम्मस्स जं खंडिअं, जं विराहिअं, तस्य मिच्छा मि दुक्कडं ॥ शब्दार्थइच्छाकारेण-इच्छा-पूर्वक । | वाइओ-वाचिक, वाणीद्वारा हुआ संदिसह-आज्ञा प्रदान करो।
हो। भगवन् ! हे भगवन् !
माणसिओ-मानसिक, मनद्वारा देवसिअं-दिवस सम्बन्धी।
हुआ हो। आलोउं-आलोचना करूँ ? उस्सुत्तो-उत्सूत्र, सूत्रके विरुद्ध [आलोएह-आलोचना करो।] । भाषण करनेसे हुआ हो । इच्छं-चाहता हूँ। (इसी प्रकार)। उम्मग्गो-उन्मार्ग, मार्गसे विरुद्ध आलोएमि-आलोचना करता हूँ। वर्तन करनेसे हुआ हो । जो-जो।
अकप्पो-अकल्प, कल्पसे विरुद्ध मे-मेरेद्वारा।
वर्तन करनेसे हुआ हो। देवसिओ-दिवस-सम्बन्धी । अकरणिज्जो-नहीं करने योग्य अइयारो-अतिचार।
__कर्तव्य करनेसे हुआ हो। कओ-किया हो-हुआ हो। दुज्झाओ-दुनिसे हुआ हो । काइओ - कायिक, कायद्वारा दुविचितिओ- दुष्ट - चिन्तनसे हुआ हो।
हुआ हो।
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