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३ बादमें 'जं किंचि' कहकर 'नमो त्थु णं' सूत्र कहना। ४ फिर 'जावंति चेइयाई' सूत्र कहकर एक 'खमासमण' देना। ५ इसके बाद 'जावंत के वि साहू' तथा 'नमोहत्' सूत्र कहना। ६ तदनन्तर स्तवन कहना अथवा 'उवसग्गहरं' स्तोत्र कहना। . ७ फिर दोनों हाथ मस्तकपर रख 'जय वीयराय' सूत्र ‘आभ
वमखंडा' तक कहना, फिर दोनों हाथ नीचे उतारकर 'जय वीयराय' सूत्र कहना। फिर खड़े होकर 'अरिहन्त चेइयाणं' सूत्र कह 'अन्नत्थ०' सूत्र कहकर एक नमस्कारका 'काउस्सग्ग' करना। बादमें 'काउस्सग्ग' पूर्ण कर 'नमोऽर्हत्' सूत्र कह थुई (स्तुति) कहना । फिर एक 'खमासमण' देना ।
२१ संसारदावानल-थुई
[श्रीमहावीर-स्तुति ]
[ उपजाति ] संसार--दावानल-दाह-नीरं, संमोह--धूली--हरणे--समीरं ॥ माया--रसा-दारण-सार--सीरं, नमामि वीरं गिरि-सार-धीरं ॥ १ ॥ भवनिधिजलपोतः सर्वसम्पत्तिहेतुः, स भवतु सततं वः श्रेयसे शान्तिनाथः ॥ १॥
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