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अर्थ-सलना. संसाररूपी दावानलके तापको शान्त करने में जलके समान, अज्ञानरूपी धूलको दूर हटानेमें वायुके समान, माया-रूपी पृथ्वीको चीरने में तीक्ष्ण हलके समान और मेरु-पर्वत जैसे स्थिर श्रीमहावीर प्रभुको मैं वन्दन करता हूँ॥१॥ - भक्तिपूर्वक नमन करनेवाले सुरेन्द्र, दानवेन्द्र और नरेन्द्रोंके मुकुटमें स्थित चपल कमल-श्रेणि द्वारा जो पूजित हैं, जिनके प्रभावसे नमन करनेवाले लोगोंके मनोवाञ्छित अच्छी तरह पूर्ण हुए हैं, उन प्रभावशाली जिनेश्वरके चरणोंको मैं अत्यन्त श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ॥ २॥
यह आगम-समुद्र ( अपरिमित ) ज्ञानद्वारा गम्भीर है, सुन्दर पद-रचनारूप जलके समूहसे मनोहर है, जीवदयाके सिद्धान्तोंकी अविरल लहरियोंके संगमसे जिसका देह अति गहन है, चूलिकारूप ज्वारवाला है, उत्तम आलापकरूपी रत्नोंसे भरपूर है और जिसका सम्पूर्ण पार पाना अतिकठिन है, ऐसे श्रेष्ठ श्रीवीरप्रभुके आगमरूपी समुद्रकी मैं आदरपूर्वक अच्छी तरह सेवा करता हूँ॥ ३ ॥
मूलपर्यन्त कुछ डोलनेसे गिरे हुए मकरन्दकी अत्यन्त सुगन्धमें मग्न बने हुए चपल भ्रमर-वृन्दके झङ्कार शब्दसे युक्त उत्तम निर्मल पंखुड़ीवाले कमल-गृहकी भूमिमें वास करनेवाली, अत्यन्त तेजस्विताके कारण रमणीय, सुंदर कमल-युक्त हाथवाली, दैदीप्यमान हारसे सुशोभित वाणीके-समूहरूप देहवाली हे देवि ! मुझे मोक्षका वरदान दो।।४॥
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