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अनेकान्त [कार्तिक, वीर-
निर्वाण सं० २४६० नीय क्षत्रिय लोग ब्राह्मणों के सहयोगसे हिंसामई शाकाहारी होटल तक मिलेंगे। अब वह जमाना यज्ञ-याज करते करते हिंसासे इतने ऊब गयेथे टल गया, जब पाश्चात्य देशोंमें जानेपर बिना मांम कि उन्होंने भगवान महावीर तथा गौतमबुद्ध जैसे खाए काम नहीं चलता था। अहिंमा प्रचारकोंको उत्पन्न किया उसी प्रकार निरामिष भोजनके प्रचारके अतिरिक्त वहाँ प्रा. अाजकल पाश्चात्य देशवासी भी व्यर्थकी हिंसा णियोंके साथनिईयताका व्यवहार न करनेका आन्दो
और निर्दयतासे ऊब गये हैं। वहाँ प्रत्येक देशमं लन भी प्रत्येक देशमें किया जारहा है । इस समय निरामिप भोजनका प्रचार करने वाली सभाएँ हैं। यूरोपके प्रत्येक देश तथा अमेरिकामें जीवदयाप्रचा. आपको युरोप तथा अमेरिकाके प्रत्येक देशमें रिणी सभाएँ (Humanitarian Lebaglucos)
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टिन्नेवेली जिलेके कई स्थानी में पृथ्वीपर तेज़ नोक वाले भाले या बड़े कीले सीधे गाड़कर उनके ऊपर बड़ी भारी ऊँचाईसे कई सूअर एक-एक करके इस प्रकार फेंके जाते हैं कि वे उस में बिंधकर भालेके नीचे पहुंच जावे । इस प्रकार एक-एक भालेमें एकके ऊपर कई एक सूअर जीवित ही बिंध जाते हैं। बादमें उन मक प्राणियोंकी बलि दी जाती है।
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काम कर रही हैं । जीवदयाप्रचारिणी सभाएँ प्रति सामूहिक अन्याय किये जानेकी बात सुनती प्राणियोंपर निर्दयता न करनेका प्रचार केवल हैं उसका खुला विरोध भी करती हैं। पिछले दिनों ट्रेक्टों, व्याख्यानों और मैजिक लालटैनों-द्वारा ही अमेरिकाकी जीवदया-सभाने भारतसरकारके बिना नहीं करतीं, बल्कि वे अपने अपने देशोंमें पशु- किसी प्रतिबन्धके अमेरिकामें बंदर भेजनेके कार्यनिर्दयता निवारक कानून (Prevention of का कठोर शब्दोंमें विरोध किया था। उन्होंने १ Cruelty to Animals Act) भी बनवाती सितम्बर १६३७ से ३१ मार्च १९३८ तक भारतीय हैं। इसके अतिरिक्त वे जिस देश में प्राणियोंके राष्ट्रीय कांग्रेसके पास भी अनेक पत्र भेजकर उसस