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अनेकान्त
[वर्ष २, किरण १
अब यहाँ विचारणीय विषय यह है कि इतनी चाणक्य ब्राह्मण इन नवनन्दोंका नाश करेगा। सामर्थ्य रखनेवाले महामन्त्रीश्वर किम धर्मके नन्दोंके नष्ट होजानेपर मौर्य्यनांग पृथ्वी पर पामक एवं अनुयायी थे ? इनके जीवन के विषय शामन करेंगे। कौटिल्यही उत्पन्न चन्द्रगुप्तको में अनेक भारतीय और पाश्चात्य विद्वानोंने बहुत राज्यगद्दी पर बिठावेगा"। कुछ लिखाहै-जैन, बौद्ध और वैदिकधर्मके मुद्रा राक्षम नाटकके टीकाकार ढूंढीराज अनुयायियांनेभी लिखा है। किन्तु एक को छोड़ चाणक्यका परिचय देते हुए लिखते हैं "xxx कर अन्य सब धर्मावलम्बियोंने चाणक्यकं धर्मके इम ब्राह्मणका नाम विष्णुगुप्तथा। यह दण्डविषयमें मौनही धारण किया है। हाँ, सम्राट् नीतिका बड़ा पंडित और मब विद्याओं में चन्द्रगुप्त जैनथे, इस विषय पर बहुत कुछ प्रकाश पारंगत था । नीतिशास्त्र का तो यह आचार्य डाला जाचुका है और अनेक विद्वानोंने मुक्तकण्ठसे ही था।" खाकार भी किया है कि मौर्यसम्राट चन्द्रगुप्त जैन- कथासरित्सागरमें चाणक्यक विषयमें धर्मानुयायी थे। लेकिन सम्राट चन्द्रगुप्तको जैनधर्म लिग्वा है कि xxx "चाणक्यने निमन्त्रण के उपासक बनानेवाले कौन थे, इसके विषय में जैन- स्वीकार किया और मुख्य होता बनकर श्राद्धमें ग्रंथो के अतिरिक्त प्राचीन और अर्वाचीन प्रायः बैठ गया। एक और ब्राह्मण सुबंधु नामक था। सभी ग्रन्थकागेन मौनका ही अवलम्बन लिया है। वह चाहताथा कि मैं श्राद्धगं मुख्य होता बनें। जैनप्रन्थोंमें मन्त्रीश्वर चाणक्य के धर्मका उल्लेख
शकटार ने जाकर मामला नन्द के सामने पेश ही नहीं किया गया, अपितु उनक सम्पूर्ण जीवन किया। नन्दने कहा सुबन्धु मुख्य होता बने । पर अच्छा प्रकाश डाला गया है । आवश्यक- दुमरा योग्य नहीं है । भयसे काँपता हुआ शकटार नियुक्ति और पयन्नासंग्रह जैसे प्राचीन ग्रन्थों
चाणक्य के पास गया । सब बात कहसुनाई । यह तक में मंत्रीश्वर चाणक्य के जैन होने का प्रमाण
सुननाथा कि चाणक्य क्रोधस जल उठा और मिलताहै।
शिखा खोलकर प्रतिज्ञा की-अब इम नन्द का प्रथमही आजैन माहित्यकारोंने चाणक्य के सात दिनकं अन्दरही नाश करके छोडूंगा और विषयमें जो कुछ लिया है उसका संक्षेपमें परि- तभी मरी यह खुली शिम्बा बँधेगी। " ( मौर्य चय देकर, मैं जैनसाहित्यमें पायाहुआ मंत्रीश्वर मा० इ० पृ. ९६ ) का जीवन-चरित्र उद्धृत करूँगा। पुराणाम प्रायः
प्रसिद्ध बौद्धग्रन्थ महावंश में लिखा है किइतनाही मिलताहै कि 'नवनन्दोंका चाणक्य
"चणक्क (चाणक्य) नामक ब्राह्मणन इस धनब्राह्मण नाश करेगा और वही मौर्यचन्द्रगुप्रको
नन्दका प्रचण्ड क्रोधावेशसे विनाश किया और राज्य देगा"
मारियों के वंशागत चन्दगुत्त ( चन्द्रगुप्त ) को विष्णुपुराण में लिखा है कि "उसके अनन्तर सकल जम्बुद्वीपका राजा बनाया"। और इस