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गोम्मटसार जीवकाण्ड - श्रीनेमिचन्द्राचार्यकृत मूल गाथायें और पं० खूबचन्द्रजी सिद्धान्तशास्त्रीकृत संस्कृतछाया तथा बालबोधिनी भाषाटीका सहित । इसमें गुणस्थानोंका वर्णन, जीवसमास, पर्याप्ति, प्राण, संज्ञा, मार्गणा, उपयोग, अन्तर्भाव, आलाप आदि अनेक अधिकार हैं । सूक्ष्म तत्वोंका विवेचन करनेवाला यह अपूर्व ग्रंथ है । दूसरी बार संशोधित होकर छपा है । मूल्य सजिल्दका २ || )
लब्धिसार - ( क्षपणासार गर्भित ) श्रीनेमिचन्द्रा चार्यकृत मूल गाथायें, और स्व० पं० मनोहरलालजी शास्त्रीकृत संस्कृतछाया और हिन्दी भाषाटीका सहित यह ग्रंथ गोम्मटसारका परिशिष्ट है । इसमें मोक्षके मूलकारण सम्यक्त्वके प्राप्त होने में सहायक क्षयोपशम, विशुद्धि, देशना, प्रायोग्य, करण इन पाँच लब्धियोंका वर्णन है । मूल्य सजिल्दा १ ॥ ) द्रव्यानुयोगतर्कणा और समयसार - ये दो ग्रंथ अप्राप्य हैं । समयसार तो पुनः सुसम्पादित होके छपेगा ।
गुजराती ग्रंथ
श्रीमद्राजचन्द्र-आं पुस्तकमा श्रीमद्राजचन्द्रनी हयातीमां ते ओश्रीने जुदे जुदे प्रसंग मुमुक्षुभाईओ, सज्जनों अने मुनिश्रीओ वगैरे तरफधी भिन्न भिन्न विषयों प्रत्ये पुळेला सवालोना जबाबना पत्रोना संग्रह, तथा बाल्यावस्थामां रचेला भावनाबोध, मोक्षमाला, आत्मसिद्धि ग्रंथोंनो संग्रह छे, श्रीमदनी सोळा वर्ष पहेलानी वयथी देहोत्सर्ग पर्यन्तना विचारोना आ भव्य ग्रंथमां संग्रह छे, जैनतत्त्वज्ञानको महान ग्रंथ छे, जैनतत्वज्ञाननो उंडो अभ्यास समजवा माटे आ ग्रंथ खास उपयोगी छे, बीजी आवृत्ति संशोधनपूर्वक बहार पाडी छे. अने तेनी अंदर श्रीमदूना अप्रगट लखाणे पण दाखल करवामां आग्या छे. ग्रंथारंभमां महात्मा गांधीजीए लखेली महत्त्वपूर्ण प्रस्तावना छे । आ पुस्तक सारामां सारा कागळ ऊपर सुप्रसिद्ध निर्णयसागर प्रेसनी अन्दर खास तैयार करावेला देवनागरीमां उपान्युं छे. सुन्दर बाईंडिंगथी सुशोभित है. दरेक ग्रन्थभण्डार, लाईब्रेरीमा राखवा योग्य छे, तेमज साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविकाओने खास वाँचवा लायक अने मनन करवा योग्य आ महान ग्रन्थ छे, रॉयल चार पेजी साइजना ८२५ पृष्ठवाला दळदार प्रन्थना मूल्य फक्त ५ पाँच रुपया, लागतमात्र थी अर्धा राखेला है । ५ चित्र छे । भावनाबोध 1- आ ग्रंथना कर्त्ता उक्त महापुरुष छे, वैराग्य ए आ ग्रंथनो मुख्य विषय छे, पात्रता पामवानुं अने कषायमल दूर करवानुं आ ग्रंथमां उत्तम साधन छे, आत्मगवेषीओने आ ग्रंथ आनंदोल्लास आपनार छे, आ ग्रंथनी पण आ त्रीजी आवृत्ति छे, आ बने ग्रंथों खास करीने प्रभावना करवा सारू अने पाठशाला, ज्ञानशाला, तेमज स्कूलोमा विद्यार्थियो विद्याभ्यास अने प्रभावना करवामाटे अति उत्तम ग्रन्थ छे, अने तेथी सर्व कोई लाभ लई सके, ते माटे गुजराती भाषामा अने बालबोध टाईपमा छपावेलुं छे । मूल्य सजिल्दनु फक्त
चार आना ।
रिपोर्ट- प. प्र. मं. नी. सं. १९७३ थी. सं. १९९० सुनीनां रिपोर्ट अने महात्मा गांधीने लखेटी श्रीमद् राजचन्द्र ग्रंथनी गुजराती और हिन्दी प्रस्तावना मफत मश जे भाईओ ने जोइये, ते मंगावी लेशो ।