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भाषण श्री बैजनाथजी बाजोरिया M.L.A. सभापति महोदय तथा उपस्थित भाइयो और देवियो! भाइयो ! अहिंसाके महत्वका वर्णन पूर्ण रूपेण .
. सबसे प्रथम मैं भगवान् श्री महावीरके करना मेरे ऐसे सामान्य व्यक्तिका कार्य नहीं है। प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। भगवान श्रीकृष्णचन्द्रजीने श्रीमद्भगवद् गीता महावीरजीका जन्म ऐसे समयमें हुआ था जब कि इस प्रकार कहा है:धर्मके नाम पर यज्ञ तथा होमादिमें हिंसाकी मात्रा भयं स त्वस शुद्भिनियोगव्यवस्थितिः। बहुत ही अधिक हो गई थी तथा और भी नाना दानं दमश्च यज्ञश्व स्वाध्यायस्तप आर्जवम् ॥ . प्रकारसे प्राणि मात्रको सताया जा रहा था । ऐसी अहिंसा सत्यम कोधस्त्यागः शान्तिरपैशुनम् ।। स्थितिमें भगवान महावीरने संसारको अहिंसाका दया भतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं हीरचापलम् ।। . परम उपदेश देनेके ..mmmmmmmmmmmmmmmm तेजःक्षमा धृतिःशौचमलिये-संसारको अहिं.
द्रोहो नाति मानिता। सक बनानेके लिये
भवन्ति सम्पदं देवीमजन्म ग्रहण किया था।
। भिजातस्य भारत ॥ अहिंसा शब्दका अर्थ
। निर्भयता, अन्तः केवल पशु-हिंसाके
। करणकी शुद्धि, ज्ञान निषेधसे ही नहीं है,
और योगमें निष्ठा, बल्कि किसी भी प्राणी- सेट बैजना । बाजोरिया एम. एल. ए. दान, इन्द्रियनिग्रह, के जीवको तनसे, मन- सेंट जनाथ बाजोरिया भारत के एक प्रमुग्व व्या- यज्ञ, वेद पढ़ना, तप, से. वचनसे किसी भी पारी होते हुए भी अपना अधिकांश समय धार्मिक मीधापन मिा प्रकारसे दु और लोकोपयोगी कार्योम व्यतीत करते हैं। श्रार
सच बोलना, क्रोध न भारतकी प्राचीन सभ्यताके कहर पक्षपाती हैं। मनाननी चाना उसीका नाम
रीतिरिवाजकी समर्थक जनताके श्राप केन्द्रीय असेम्बली. करना, त्याग, शान्ति, अहिंसा है। अहिंसा में एक विश्वस्त प्रतिनिधि हैं।
। चुगुलखोरी न करना, को हमारे धर्ममें प्रधान rrrrr.
mummer प्राणीमात्र पर दया धर्म माना गया है, इसीलिये श्रुति है-"अहिंमा निर्लोभता, कोमल स्वभाव रखना, लज्जा, परमो धर्मः ।" भगवान् महावीरने सारे संसारमें चंचलताका त्याग, तेज, क्षमा, धीरता, पवित्रता : अहिंसाकी महिमाको प्रज्वलित किया सबके हृदयमें किसीसे घृणा या वैर न करना, अपनेको बड़ा .. दयाका संचार किया, उस समय प्रजा जो हिंसात्मक समझ कर घमंड न करना । ये २६ देवी सम्पत्तियां थी, उसे अहिंसात्मक बनाया, हिंसासे जो अनर्थ हो हैं। ये उन्हीं में होती हैं जिनका आगे भला होने रहे थे, उनसे संसारका उद्धार किया और जो लोग वाला होता है। अपने धर्मको भूल रहे थे उन्हें सन्मार्ग पर लगाया। इसलिये, भाइयो और देवियो ! मैं आपसे