Book Title: Anekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 692
________________ ६२६ अनेकान्त [माद्रपद, वीर-निर्वाण सं०२४६५ न अपना कल्याण ही कर सकता है इस कारण ईश्वरने करेगा? यह उसकी मर्जी; जब वह सारे संसारका ईसा नामका अपना इकलौता बेटा संसारके कल्गणके राजा है तो चाहे जो करे, इसमें किसीकी क्या मजाल वास्ते भेजा है; जो उसकी शरणमें पाजायगा अर्थात् जो कुछ एतराज़ कर सके। जो कोई उसको कल्याणकर्ता मानेगा, ईश्वर उसके सब हिन्दू अपने ईश्वरकी बढ़ाई इस प्रकार करते हैं कि पाप धमाकर उसको स्वर्गम भेज देगा और जो उसकी लंकाके राजा रावणको दंड देनेके वास्ते ही ईश्वरको शरणमें नहीं आयेगा उसको सदाके लिये नर्कमें सड़ना रामके रूपमें मनुष्यजन्म धारण करना पड़ा है। बारह पड़ेगा । प्रश्न-ईश्वरका इकलौता बेटा कैसे हो सकता वर्ष बनोवास भुगता, रावणके हाथसे सीताका हरण है ? उत्तर-ईश्वरने स्वयं एक कुंवारी कन्याके गर्भ कराया, जिससे उसके साथ लड़नेका बहाना पैदा हो रखकर उसको पैदा किया है। इस कारण वह ईश्वरका जाय; फिर चढ़ाई कर ऐसी घमासान लदाईकी, जिससे बेटा है और चूंकि दूसरा कोई इस प्रकार पैदा नहीं लाखों मनुष्योंका संहार हुआ; आखिर रावणको मारकिया गया है, इस वास्ते वह ही ईश्वरका एक इकलौता कर अपना कार्य सिद्ध किया। प्रश्न-सर्वशक्तिमान बेटा है। प्रश्न-वह तो सुनते हैं राज्य-द्वारा अपराधी परमेश्वरको एक श्रादमीके मारनेके वास्ते इतना प्रपंच या नाकर शलीपर चढ़ाकर मारा गया है, यदि क्यों रचना पड़ा ? उत्तर-राज्य कार्योंके रहस्यको राजा वह ईश्वरका खास बेटा था और जगतके कल्याणके ही जानते हैं; तब वह तो इतने बड़े राज्यका मालिक वास्ते ही अद्भुतरीतिसे पैदा किया गया था तो ईश्वरने है जिसकी कल्पना भी नहीं हो सकती इस कारण उसको शूजी देकर क्यों मारने दिया ? उत्तर-उसके उसके रहस्यको कौन समझ सकता है । इस ही प्रकार शूली चढ़कर मरनेसे ही तो उसके माननेवाले सब परमेश्वरने कंसको मारनेके वास्ते कृष्णके रूपमें जन्म लोगोंको उनके अपराधोंका कोई दण्ड नहीं देगा, लिया; कंसने उसके पैदा होते ही उसके मारनेका सबहीको सदाके लिये स्वर्गमें पहुँचा देगा। प्रश्न- प्रबन्ध किया; उससे बचानेके वास्ते वह गुप्त रीतिसे जिसने अपराध नहीं किया उसके दंड भुगत लेनेसे वृन्दावन पहुँचाया गया; एक ग्वालाके यहाँ गुप्त रीतिसे अपराधीका अपराध कैसे दूर होसकता है और फिर ऐसे उसकी पालना हुई, जहाँ ग्वालोंकी कन्याओं और लोगोंका भी जो उसके शूली दिये जाने अर्थात् दंड त्रियोंको अपने उपर मोडित कर उनके साथ तरह तरह भगतने के बाद भी हजारों लाखों वर्ष तक पैदा होते की किलोले करता रहा । यह ही उसकी किलोलें सुनारहेंगे और अपराध करते रहेंगे, यह तो साक्षात् ही सुनाकर, गा बनाकर, नाटकके रूपमें दिखा दिखाकर, लोगोंको पापोंके करनेकी खुली छुट्टी देना है ? उत्तर- उसकी महान भक्ति की जाती है, उसकी लीला अपरये ईश्वरीय राज्यके गुप्त रहस्य हैं जिनमें तर्क वितर्क म्पार है; मनुष्यकी बुद्धि उसके समझनेमें बेकार है; वह करनेका किसीको क्या अधिकार हो सकता है। चाहे जो करे; यह ही उसकी असीम शक्तिका प्रमाण है। मुसलमान भी इस ही प्रकार यह कहते हैं कि धर्ममें बुद्धिका कुछ काम नहीं जब यह बात निश्चय मुहम्मद साहब जिसकी सिफारिश करदेंगे ईश्वर उसके रूपसे मानी जाती हो तब धर्मके नाम पर चाहे जैसे अपराध मा करके उसको स्वर्गमें भेजदेगा, क्यों ऐसा सिद्धान्तोंका प्रचार हो जाना तो अनिवार्य ही है। इस

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