________________
'वीरसेवामन्दिर-लायब्रेरी को सहायता हालमें श्री मुनि जिनविजयजी मंचालक मिघी-न ग्रन्थमाला बम्बईन ग्रन्थमालाक अब तक प्रकाशित हुए 10) मृल्यक कुल प्रन्थ, श्री पं० नाथगमजी प्रेमी. मालिक हिन्दीग्रन्थरत्नकार कार्यालय बम्बईने -५) मृल्यक ६ हिन्दी ग्रन्थ भार प्रोफेसर हीगलालजी जैन एम. ए. अमरावतीन कारचा मोरीजक ८।।) मूल्यक दो ग्रन्थ मुझे भंट कर के वीरमेयामन्दिर लायब्ररीकी जो महायता की है उसके लिये ये सब मजन बहुतही धन्यवाद के पात्र हैं और मैं उनकी इम कृपाका बहुतही आभारी हूँ।
आशा है दमर मजन भी इन मजनोंका अनकरण करक वारसवामन्दिर लायनेगको मत्र प्रकारस पुष्ट वनानम अपना महयोग प्रदान करेंगे । इस समय लायबेगका केशव वर्गीकी संस्कृत टीका
और पं० टोडरमलजीकी भापाटीका महिन मुदिन गोमटमारक दोनों ग्वण्डोंकी और भापाटीका महिन प्रकाशित गजबार्तिकाक मब ग्वग डोंकी तथा भापाटीकामहिन मुदिन लब्धिमार-क्षपणासरी वाम जरूरत है । जो महानुभाव भादोंक पवित्र दिनों में इन ग्रन्थोंका या इनमें से किमा भी ग्रन्थको संस्थाको प्रदान करनेकी कृपा करंग, उनका मैं बहुन आभारी हूंगा।
--अधिष्ठाता 'वीमिंयामन्दिर'
चित्र और ब्लाक रंगीन. हाफटीन अथवा लाइन चित्र
या ब्लाक बनवाने के लिये
निम्न पता नोट कर लीजिये आपकं प्रादेशका पालन ठीक समय पर किया जाएगा।
मैनेजर-दी ब्लाक सर्विस कम्पनी
कन्दनाकशान ट्रीट, फतहपुर्ग-दहनी ।