________________
DILIHI/ minANILE"
हेमचन्द्राचार्य-जैनज्ञानमन्दिर
न श्री हेमचन्द्राचार्यका परिचय पाठक अनेकान्तकी कभी भी सोचा-समझा नहीं होगा !!" जगत तीन किरणोंसे पढ़ रहे हैं उनकी पुण्यस्मृतिमें मुंशीजीकी हेमचन्द्राचार्य के प्रति श्रद्धा-भक्ति और हाल ही गुजरातकी पुरातन राजधानी पाटण शहरमें एक साहित्योद्धारकी उत्कट भावनाका पता इतने परसे ही विशाल जैनशानमन्दिरकी स्थापना होकर उसकी चल जाता है, कि अापने बम्बईमें भी हेमचन्द्राचार्यका उद्घाटन-क्रियाके लिये 'हेम-सारस्वत-सत्र' नामसे एक स्मारक कायम करनेके लिये ३५ हजार रुपये तो एकत्र बड़ा भारी उत्सव गुजराती साहित्य-परिषदकी श्रोरसे कर लिये हैं और ५० हजारसे ऊपर और एकत्र करने गत ७,८,९ अप्रैलको नेता और बम्बई गवर्नमेण्टके का श्रापका प्रयत्न चाल है। अतः ऐसी सच्ची लगनगृहसचिव श्री. कनैयालाल माणिकलालजी मुन्शीकी वाले एक प्रसिद्ध पुरुषके हाथों इस शान-मन्दिरका अध्यक्षतामें मनाया गया है। मुन्शीजीके ही पवित्र उद्घाटन बहुत ही समुचित हुआ है और वह उसके हाथोंसे ७ अप्रैलको दिनके ३ बजे इस मन्दिरकी उद- उज्ज्वल भविष्यका द्योतक है। उद्घाटनके समय तक घाटन-क्रिया सम्पन्न हुई है । उद्घाटनादिके अवसरपर मन्दिरमें पन्दरह हज़ारके करीब प्राचीन हस्तलिखित
आपके जो भाषण हुए हैं वे बड़े ही महत्वपर्ण, सार- ग्रंथों और बहुतसे बहुमूल्य चित्रोंका संग्रह हो चका था, गर्मित तथा गुजराती भाइयोंमें साहित्यसेवाकी भावना- जिन सबकी कीमत लाखों रुपयोंमें भी नहीं-श्राँकी को और भी अधिक जागृत करने वाले थे। ग्रन्थसंग्रहके जा सकती। अस्तु । प्रदर्शनमें एक बड़ा-सा ट्रंक ताड़पत्रीय शास्त्रोंके टटे यह शानमन्दिर किसने बनवाया ! किस उद्देश्यसे फूटे पत्रोंसे भरा हुश्रा रक्खा था, उसकी तरफ इशारा बनाया ? किसकी प्रेरणासे बना ! कितनी लागतमें करते हुए मुन्शीजीका हृदय भर आया था और उन्होंने इसका निर्माण हुआ। इसके निर्माण में क्या कुछ उपस्थित जनताको लक्ष्य करके कहा था-शास्त्रोंके विशेषता है? और इसमें संग्रहीत ग्रंथ-राशि आदि टे-फटे पत्रोंके इस ढेरको देखकर हृदयको रोना आता सामग्री कहसि प्राप्त हुई ? ये सब बातें ऐसी हैं जिन्हें है! हमारे बुजुर्ग दादाओं तथा साधु-महाराजोंने परम्परा- जाननेके लिये हर एक पाठक उत्सुक होगा । हाल में से जिस अट खजानेको सुरक्षित रखा था वह इस प्राप्त हुए गुजराती पत्रोंमें इन विषयोंपर कितना ही • प्रकार नष्ट होगा, उनकी संतान ऐसी नालायक प्रकाश डाला गया है, उन्हीं परसे कुछ परिचय यहाँ निकलेगी-उनके साहित्यको नष्ट करेगी, ऐसा उन्होंने 'अनेकान्त'के पाठकोंके लिये संकलित किया जाता है।