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वर्ष २, किरण ३]
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सिद्ध प्रामृत
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...अर्थात्-मनन्तरसिद्ध और परम्परासिद्धोंका तदेवमिहसचिों प्रपत्रमावे साप चिन्तितः, उक्त अनुयोग द्वारों द्वारा साविस्तृत वर्णन सिद्धप्रा- शेषेषुहारेषु सिबमाभूतटीकातो मापनी तुबंधभूतमें किया गया है, सो उसीके अनुसार हम भी गौरवमयाम्योच्यते।' शिष्यजनोंके अनुप्रहार्थ लेशमात्रसे यहाँ पर विचार साथ ही, उल्लेखोंसे यह भी ज्ञात होता है कि करते।
मूलाराधनाकी प्राकृत टीकाके समान सिपाहुनइसके बाद उन्होंने 'तदुक्तं सिबमाभूतटीकापों, की भी प्राकृत टीका रही है। जैसेउक्तं - सिबमाभूतटीकापी, तथा चोक्तं सिद्धप्रामृत- 'बीसा एगपरे विजये। 'सेसेसुपरपसु पस लिम्टीकायां, सिखमाभृतसूत्रेऽप्युक्तम् , उक्तं च सिमामृते, ति, दोनु वि उस्सपिवीभोसपिबीच हरकतो' । तथा चोक सिद्धमाभृते, पतः सिद्धप्राभृतटीकावामेवोक्तं, 'जबममाए पतारि समया।' इत्यादि। शेषेषु हारेषु सिखमाभूतडीकातो मावलीया'.. इत्यादि मतभेदवाले उल्लेखोंकी वानगी देखिएअनेक रूपसे सिद्धप्राभृतका उल्लेख किया है। और
'सम्प्रत्यल्पावं सिदभूतमेपोते- 'उक्त अन्तमें उन्होंने अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हुए रसिद मामते-सेसाब गईल सदसर्ग' 'भगवालार्यलिखा है कि
स्थामः उमरेखमाह-
इ त्रविभागेनारमा सिद्धमाभूतसूत्रं तवृत्ति चोपजीव्य मनपगिरिः। सिबमाभूततीकातो लिखित ।' . . सिखस्वरूपमेतविरवोचविष्यविहितः । . एक-दो उल्लेख कुछ महत्वपूर्ण मतभेदोको
अर्थात्-मुझ मलयगिरिने यह सिद्धोंकास्वरूप लिए हुए मी देखने को मिल रहे हैं पर उन्हें यहाँसिडमामृतसूत्र और उसकी वृत्तिका आश्रय लेकर पर जानबूझकर छोड़ रहा है क्योंकि वे उल्लेख शिष्योंकी बुद्धिके हितार्थ कहा है।
स्वयं एक स्वतन्त्र लेखके विषय है, जिन पर पुनः ___ उक्त अवतरणों से कुछ एक उल्लेख ऐसे हैं कभी लिखेंगा। जिनसे मूलपन्थ,उसकी टीका और उसके माम्ना- श्वेताम्बरीय विद्वानों को इस विषय में प्रकाश विभाग पर भी प्रकाश पड़ता है। उदाहरणार्थ- डालना आवश्यक है कि क्या उनके भंडारों में
'सिद्धपाहुड' गाथानोंमें रचा गया है । जैसे 'सिद्धप्रामृत' नामक कोई शास्त्री ? यदि हाँ, तो सिद्धप्रामृतसूत्रेऽप्युक्तम्
वह किसका बनाया है टीकाकार कौन है? 'उत्सप्पिणीयोसप्पिबीततत्यपसमासुमसर्व । कितने प्रमाणवाला है भादि । अमिधानराजेन्द्र . पंचमिपाए बीसं इस दस सेसेम । कोषमें भी एक टिप्पणी इस नामपर लिखी मिलती • 'सला र अभंगा एस एस होइ परी ' है-. .. .. 'परिमाण प्रचंता कायोज्याई अवलो तेति। "सिदमाहुर-सिमात तुलनामा ..
इत्यादि । राधिकारमविपाक गये। सिद्धपाहुडकी टीका प्रतीव विस्तृत रही है ऐसा पर इससे मूलका, टीकाकार मादिविषयमें भी कितने ही इलाग्य से प्रतीत होता है, जैसे- कुछ प्रतीत नहीं होता है। हाँ, एक बात भवस्य