Book Title: Anekant 1938 Book 02 Ank 01 to 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 651
________________ म ARE M074 HETAU AN वीरशासन-जयन्ती और उसके उत्मव स्वरूप कई महत्व के लेख प्राप्त हुए हैं । प्राप्त लेग्यों में से कुछ नो वीर शायना के लिये रिजर्व रकावे गये है रशासन जयन्तीका आन्दोलन इस वर्ष पिछले और कल हम अङ्क में प्रकाशित होरहे हैं । जिन विद्वानों वर्ष भी अधिक रहा। कितने ही पत्र सम्पा- ने अभी तक भी अपने लेख परेकरके भेजनेकी कृपा नहीं नकांने उपमें अच्छा भाग लिया-उसकी विज्ञप्तिको को, उनसे निवेदन है कि वे शीघ्र ही पग करके भंजद अपने पत्रों में स्थान ही नहीं दिया बल्कि अपने अग्र जिपसे वीरशासनाब में उन्हें योग्य स्थान दिया जासके। लेग्वादिकों द्वारा वीरशासन दिवसकी महत्ता और उसको उत्पादि-सहिन मनाने की अावश्यकता पर २ अनेकान्तका विशेपाङ्क जोर दिया तथा अपने अपने पाठकोंको यह प्रेरणा की वीरशासना' के माममं अनेकान्तका विशेषा कि वे श्रावण कृष्ण प्रतिपदाकी उस पुण्य तिथिके निकालनेका जो विचार चल रहा था वह द हो गया दिन वीरशासन के महत्व और उसके उपकारका विचार है। यह मचित्र अंक अच्छा दलदार होगा और पिछले कर उसके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें, उसे अपने विशेष. से भी बड़ा होगा। इसमें अच्छे अच्छे विद्वानों. जीवन में उतारे और भाषणों तथा तद्धिपयक साहित्य के महत्वपूर्ण लेख हेंगे और उनके द्वारा कितनी ही के प्रचार-द्वारा उसका संदेश सर्व साधारण जनता तक महत्वकी ऐसी बातें पाठकोंके सामने पाएंगी, जिनका पहँ वाकर उसे उसके हितमें सावधान करें। फलतः उन्हें अभी तक प्रायः कोई पता नहीं था। सबसे बड़ी बहतसे स्थानों पर जम्पे किए गये, प्रभात फरियां की विशेषता यह होगी कि इस अंकये धवलादि श्रनार गई, जलूस निकाले गये, झंडे फहराये गये सभा की चय' को मूल सूत्रादि महिन निकालना प्रारम्भ किया गई और वीरशासनपर अच्छे अच्छे भापण कराये गये, जायगा और इस अंकमें उसके कमसे कम आठ पंज जिनकी रिपोर्ट भारही है और पत्रों में भी प्रकाशित जरूर रहेंगे । साथ ही, मामयीके मंकलनरूप पतिहोरही हैं। उन सबको यहाँ नोट करना अशक्य है। हामिक जैनकोश का भी निकालना प्रारम्भ किया वीरसेवामंदिरमें भी दो दिन स्वब प्रानन्द रहा- जायगा और उसका भी स्पंज कामें प्रायः एक फार्म जिसकी रिपोर्ट दूसरे पत्रों में निकल चुकी है। जिन जुदा रहेगा। इस कोश में महावार भगवान के समयमै सज्जनोंने किसी भी तरह इस शुभ कार्य में भाग नथा लेकर प्रायः अब तकके उन सभी दि. जैन मुनियों वीरसेवामंदिरमें आने आदिका कष्ट उठाया है, उन प्राचार्यों, भट्टारकों, संघों, गणों, विद्वानों, ग्रन्थकारों, सबका मैं हृदयसे आभारी हूँ। राजामों, मंत्रियों और दूसरे खास खाय जिनशासनइस वर्ष वीरसेवामंदिर में वीरशासन पर विद्वानोंके सेवियोंका उनकी कृतियों सहित संक्षेपमें वह परिचय सेख मॅगानेका खास प्रयत्न किया गया है जिसके फल- रहेगा जो अनेक ग्रंथों, ग्रंथ प्रशस्नियों, शिलालेखों

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