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वर्ष २. किरण १... महात्मा गान्धीके २७ प्रश्नोंका भीमद् रायचन्दजी द्वारा समाधान
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उल्लेख करते हो, बहामिसबाधारसे करते हो? . उत्तरासगीको साधा मोह होगा।
उत्तरसानको बदि मुझे खास तौर पर अथवा इस दुनियाकाबाट नासदीयो जाये, लक्ष के पूछते हो तो उसके उत्पादों यह कहा. ऐसा होना मुझे प्रमाणभूत, नहीं माना होगा। जासकता है कि जिसकी संसार दशा अत्यन्त परि- इसी तरह के प्रवाहमें इसकी स्थिति पाती है। कोई क्षीण होगई है, उसके वचन इस प्राणरके संभव हैं भाव रूपांतरित होकर सीण शेजाता है, तो कोई उसकी चेष्टा का प्रचारकी संभव है। इत्यादि मंशसे वर्धमान होता है; वह एक क्षेत्रमें बढ़ता तो भी अपनी भात्मा जो अनुभव हुमा हो, उसके दूसरे क्षेत्रमें घट जाता है, इत्यादि सपने इस सृष्टि
आधारसे उन्हें मोक्ष हुमा कहा जासकता है। प्रायः की स्थिति है । इसके ऊपरखे और बाद ही यह करके वह यथार्थ ही होता है। ऐसा मानने में जो विचारमें सवारनेके पश्चात् ऐसा कहना संभव है प्रमाण हैं वे भी शाब मादिसे जाने जा सकते हैं। कि यह वृष्टि सर्वथा नाश हो जाब, अपना इसकी ।
२०. प्रश्न:-बुखदेवने भी मोक्ष नहीं पाई, यह प्रलय हो जाय, यह होना संभ मही। मुष्टिका आप किस आधारसे कहते हो? . अर्थ एक इसी पृथ्वीसे मही.समनाना साहिए। __उत्तर:-उनके शास-सिद्धान्तोंके प्राधारसे । २२. प्रश्न:-इस अनीतिमेंसे सुनीति अभूत जिस वरहसे उनके शास सिद्धान्त हैं, यदि उसी होगी, क्या यह ठीक है? तरह उनका अभिप्राय हो तो वह अभिप्राय पूर्वापर उत्तर-इस प्रश्नका उत्तर सुनकर जो जीव. विरुख भी दिखाई देता है, और यह सम्पूर्ण ज्ञान- अनीतिकी इच्छा करता है, उसके लिये इस तर का लक्षण नहीं है।
को उपयोगी होने देना योग्य नहीं । नीति-नीति, • जहाँ सम्पूर्ण सान नहीं होता वहाँ सम्पूर्ण सर्व भाव अनादि हैं। फिर भी हम सुबनीति राग द्वेषका नाश होना सम्भव नहीं। जहाँ वैसा का त्याग करके यदि नीतिको स्वीकार करें, तो इसे हो वहाँ संसारका होना ही संभव है । इसलिए स्वीकार किया जा सकता है, और बहानामा , उन्हें सम्पूर्ण मोष मिली हो, ऐसा नहीं कहा जा कर्तव्य है । और सब जीनोंकी सहा वीति सकता। और उनके कहे हुए शाखोंमें चो.अभिप्राय , दूर करके नीतिका स्थापन किसा काय, महान है उसको कार का दूसरा ही अभिप्राय नहीं कहा जा सकता कमोकिएकाले असा प्रकार . था, उसे दूसरे प्रकारले सुम्हें और हमें जानना, की विधतिक हो सकना संभव नहीं। कठिन पड़ता है और फिर भी यदि कहें कि बुद्ध २३. अनाया दुनियाकी प्रलय होती है... देवका अभिप्राय कुछ दूसरा हवा तो जो कारण उत्तर:- प्रबका अर्थ यदि सर्वथा नास होना:: पूर्वक कहनेसपा प्रमाणभूवन समा जाय, पर किया जाय तो यह बात ठीक नहीं। क्योंकि महार्य, बात नहीं है। .. ... . का साया नारा हो जाना संभव ही नहीं है। महिः ।
.२१. प्रल मिकी मन्तिम मिति स्वा प्रखबामर्ष सब पदाचा रवर पानि लीत . होगी ?. . . . . . . . . . . ... . होका दिया जान तो किसी अभिप्रायले त्या बारा ।