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अनेकान्त
[श्राषाढ़, वीर-
निर्वाण सं०२४६५
चुपचाप बैठ गये।
महान् दिग्गज हाथियोंके मार्गका अनुकरण करनेवाला साढ़े तीन करोड़ श्लोक प्रमाण साहित्यके रचयिता हाथीका बच्चा यदि स्खलित गति हो जाय तो भी शोचसाहित्यके प्रत्येक अंगकी पुष्टि करने वाले, कलिकाल नीय नहीं होता है; उसी प्रकार यदि मैं मी सिद्धसेन सर्वज्ञकी उपाधि वाले आचार्य हेमचन्द्र अपनी प्रयोग जैसे महान् श्राचार्योंका अनुकरण करता हुआ स्खलित व्यवछेदिका नामक बतीसीके तीसरे श्लोकमें लिखते हैं:- हो जाऊँतो शोचनीय नहीं हैं।
क सिद्धसेनस्तुतयो महाः , ___ पाठकगण इन अवतरणोंसे अनुमान कर सकते हैं अशिक्षितालापकला क चैषा।
कि जैनसाहित्यमें प्राचार्य सिद्धसेन दिवाकरका क्या तथापि यूथाधिपतेः पथस्थः,
स्थान है ? इस प्रकार यह निर्विवाद सिद्ध है कि स्खलद्गतिस्तस्य शिशुनं शोच्यः॥ सिद्धसेनदिवाकरकी कृतियोंका जैनसाहित्य पर महान् अर्थात्--कहाँ तो गंभीर अर्थ वाली श्राचार्य प्रभाव है। सिद्धसेन दिवाकरकी स्तुतियाँ और कहाँ अशिक्षित
(अगली किरणमें समाप्त) श्रालाप वाली मेरी यह रचना फिर भी जिस प्रकार
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स्वतंत्रता देवीका सन्देश हममेंसे जो कोई सुनना चाहे वह सुन सकता है कि स्वतंत्रताकी देवी पुकार पुकार कर स्पष्ट र शब्दोंमें कह रही है कि- "मेरे उपासको ! मेरी प्रिय सन्तानो ! तुमने अभी तक मेरी पूजाकी विधि र नहीं जानी । तुमने अभी तक मुझे प्रसन्न करनेका ढुंग नहीं सीखा । मैं स्वतंत्रता या आज़ादीसे भरे ।
हुए हृदयमें ही बास कर सकती हूँ-संकीर्णता, असहिष्णुता, हिंसकतासे भरे हुए हृदयमें नहीं । ऐ मेरी सन्तानो ! जब तुम दूसरोंको परतंत्र बनाना चाहते हो, दूसरोंके विचारों, भावों और आदर्शों से ८ घृणा करते हो, केवल खुद ही सुखसे दिन काटना चाहते हो और दूसरोंको इस शस्य श्यामल, धन-र रत्न-आनन्द-शोभा-सौन्दर्य-संकुल पृथ्वी पर ही नरककी चाशनी चखाना चाहते हो, तब मुझे क्योंकर
पा सकते हो ? क्या तुम नहीं जानते कि मैं घृणा, असहिष्णुता और संकीर्णताकी दुर्गन्धमें क्षणभर १ भी नहीं टिक सकती ? इस विराट् विश्व, अनन्त, प्रकृतिमें सभीकी आवश्यकता है-सभीके रहनेके 5
लिये स्थान है । सभीके निर्वाहके लिये सामग्री है । फिर व्यर्थके झगड़ोंसे क्या लाभ ? दूसरोंको । इपरतंत्र रखकर तुम कदापि स्वतंत्र नहीं रह सकते ।तुम्हारी निजकी स्वतंत्रताके लिये सबकी स्वतनता-८ की आवश्यकता है । मेरे उपदेशको स्मरण रक्खो, तभी तुम मुझे प्राप्त कर सकोगे, अन्यथा नहीं।"
-'नीति-विज्ञान Lamm-m-me-x--Nound-IN-men-IN-INLI
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