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वर्ष २, किरण ७ ]
बहिन...? - - कमलोत्सवा हम दोनोंकी बहिन है ! अहह ! विद्याध्ययन ! तू ने परिवार तफके परिचयसे मंचित रखा ! हम लोगोंने यह तक न जाना, परिवार में कौन-कौन हैं ? अध्यापक, पाठ्यपुस्तकें, और विद्या मन्दिर मे ही हमारी दुनियाँ रहे !
ज्ञान-किरण
उफ् ! कितना जघन्य पाप कर डाला - हम लोगोंने ! अपनी सहोदरा भगिनी पर कुदृष्टि ! कितना बड़ा धोखा खाया, जिसका हिसाब नहीं ! लेकिन अब... ?
पश्चात्तापके अतिरिक्त भी एक उपाय शेष है, जिसके द्वारा भूलका सुधार हो सकता है, वह -- पापका प्रायश्चित्त !
-तो
बस, 'हमें अब वही करना है !' और वे चल दिए --बरौर राज- कन्याओंका निरीक्षण किए हुए !
[ ४ ]
'आखिर बात क्या हुई ? यह रंगमें भंग, रसमें विष कैसा ?"
सब चकित ! किसीकी जिज्ञासाका उत्तर नहीं ! स्वयं महाराज कारण समझने में असमर्थ हैं कि अनायास राजकुमार विरक्त हुए क्यों ?... वे राजकन्याओं का दिग्दर्शन करने गये थे, विवाहसंस्कारका आयोजन किया जा रहा था ! और इसी बीच सुना जाता है कि दोनों राजकुमार विश्वबन्धन-निराकरणार्थ विपिन-विहारी होने जा रहे हैं! ती आश्चर्य !
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चले जा रहे हैं। सभी हृदयोंमें विचित्र कोलाहल, धनोला ताडव और निराला संघर्ष हो रहा है !
और आगे बढ़ते हैं! देखते हैं और जो देखनेमें जाता है, वह महाराजके स्नेही मनको प्रकम्पित किए बगैर नहीं रहता। वे मन्त्र-मुग्धकी तरह देखते-भर रह जाते हैं ! हृदयकी मूर्तिमान् होने वाली सुखद अभिलाषाएँ भविष्य के गर्भ में ही नष्ट हो जाती हैं ! कैसा कष्ट है, महान् कष्ट !
..दोनों तरुण- राजकुमार बैराग्य वेशंमें, विश्वविकार - वर्जित, परम शान्ति-मुद्रा रखे, तिष्ठे हुए हैं! धन्य !!! -
सभी आगन्तुकों - उस वंदनीयता के आगेश्रद्धा मस्तक झुक गए ! महाराज भी बच न सके ! हृदय पुत्र-शोक में डूब रहा है ! मनोवेदना मुखपर प्रतिभासित हो रही है ! ... तनो- बदनकी उन्हें ख़बर नहीं, कब वे बैठे, कब तपोनिधि-योगिराजका व्याख्यान प्रारम्भ हो गया ?
उन्होंने कुछ अस्पष्ट-सा मुना'संसार भ्रान्तिमय है ! यहाँ प्रतिपल दूषित विचारों का सृजन होता रहता है ! .......
'अबतक हमने ज्ञानार्जन किया था | लेकिन यथार्थ ज्ञान-किरणका उदय न हुआ था ! अब हृदयाकाशमें ज्ञान - किरणें प्रस्फुटित हो उठी हैं ! अब दुषित- विचारोंका, संसारका हमें भय नहीं ! यही निर्भय अवस्थाका वास्तविक मार्ग है !.....
लेकिन महाराजके मोही-हृदयमें ज्ञान-किरण प्रविष्ट न हुई ! शोकार्त हो, उन्होंने ठान लिया
अपार जन-समूहको साथ लिए, महाराज बढ़े आमरण अनशन !!!