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गौरवगाथा
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चाणक्य और उसका धर्म
| लेग्वक-मुनि श्रीन्यायविजयजी ।
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विर्यमाम्राज्य के संस्थापक, उद्धारक तथा नन्दवंशके राजाओंके अत्याचार और धनपिपामा
न भारतीय साम्राज्यको विस्तृत एवं व्यापक प्रजाकी रक्षा तथा उस अत्याचारी नृपवंश का रूप देनेवाले मन्त्रीश्वर ntures true a times milne witues otures niml" : नाश करनेका श्रेयभी आप चाणक्यक नाम शायदही इस लेखके लेखक मुनि श्री न्यायवि जय जी कोही था। कोई भारतीय विद्वान अप
श्वेताम्बर जैनसमाजके एक प्रसिह लेखक हैं। आप बहुधा गुजराती भाषा में और गुजराती पत्रों
मंत्रीश्वर चागाक्यने मौर्यरिचित होगा । चाणक्य में लिखा करते हैं। शोध-खोन से आपको अच्छा साम्राज्य की स्थापनामें कितना महान्
कार्य कियाथा, इस सम्बन्धी 'मौर्यप्रेम है और आपकी रुचि ऐतिहासिक अनुसन्धान प्रग्वर विद्वान, महामुत्मही,
है की भोर विशेष रहती है। यह लब आपकी उमीमाम्राज्यके इतिहास' नामक अपनी गजकुशल और अद्वितीय
झनिया एक नमूना है । इसमें चाणक्य के धर्म- पुस्तक (५० ८१) में गाकुलकाँगड़ी सनाधिपतिथे । मौर्यसाम्रा- विषयकी . नई बान मनिहासिक विद्वानोंक तिहासका प्रोफेसर श्री. सत्यकेतु ज्य की स्थापनाक बाद, बड़े : winार के सामने विचार के लिये प्रस्तुत कीगई है और विद्यालंकार नी लिम्बने है ......"भव
उसके लिये कितनी की सामग्री का संकलन किया चन्द्रगुप्तका समय भाता है, इस बड़े गजा-महाराजांका युद्ध गया है । मम्राट चन्द्रगुप्त के बहुत ही कुशाग्रवद्धि वाग्ने भाकर सारे भारतमें एक में पछाड़कर, मौर्यमम्राटके
नाणक्य मे प्रधान मन्त्री के धर्म तथा अन्तिम माम्राज्यकी स्थापना की । पहले
जीवन के विषय में वर्तमानक ऐतिहासिक सिकन्दर द्वारा अधीन किए गए आधीन बनानकी कुशलता
विद्वानों ने अब तक कोई खाम प्रकास नहीं डाला, प्रदेशको स्वाधीन किया । फिर श्रापमं ही थी। उस ममय के यह नि:सन्देह ही आश्चर्य का विषय है ! आशा मगधविम्न्नराज्य को अपने भाधीन
है अब उनका मौन भंग होगा और वे गम्भीर करके मारे भारतको राजनीतिकदृष्टि विदेशी आक्रमणकार सि
गवेषणा-द्वारा मत्य का पता लगा कर उसके प्रकट में भी एक किया । चन्द्रगुप्तने सब कन्दर, सेल्युकम, युडीमोर करने में संकोच नहीं करेंगे। --सम्पादक । विविध गष्टों को नष्ट कर एक साम्राज्य आदि शत्रुओंक हमलोंसे maturmer DIHIMSHIMSHI स्थापित किया। चन्द्रगुप्त मौय्येही
भारतका पहला ऐतिहासिक मम्राट है । इस बड़े भारी काममै मौर्यमाम्राज्य और समस्त भारतकी रक्षाका मुख्य उसकी सहायता करनेवाला भाचार्य चाणक्यथा । वास्तवमै सब श्रेय आपको तथा आपके सैनिकों को प्राप्त था। कुछ करनेवाला चाणक्यही था" ।
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