________________
भगवान महावीरके बादका इतिहास
[ले० श्री बाब सूरजभानु वकील]
महावीरस्वामीका निर्वाण ईमासे ५२८ में कायम की। उसके बाद उसके बेटे अनुरुद्ध
'बग्म पहले हुआ, भगवान बुद्धका का, फिर मुंडका. फिर नन्दीका, राज्य हुआ। निर्वाण १५ बरस पहले होचुकाथा। महावीर नन्दीको नन्दवर्धन भी कहते हैं। उसने उड़ीसा भगवान के समयमें मगध देशमें, जिनकी राजधानी तक सब देश जीत लिया और सारे हिन्दुस्तानका गजगृह थी, शिशुनाग वंशी राजा श्रेणिक (बिम्ब- राजा हो गया। उस समय उड़ीमामें जैन-धर्म मार ) गज्य करता था। ईसासे ६४२ बरम पहले फैला हुआ थाः नन्दिवर्धन कट्टर बौद्ध था, जैनशिशुनागने इस राज्यकी स्थापना की थी । श्रेणिक धर्मसे द्वेष रखता था: इमकारण वह वहाँस जैन इम वंशका पाँचवाँ गजा था। ईसासे ५८२ बरस मूर्तियाँ उठा लाया। उसके बाद उसका बेटा महापहले वह गजगद्दी पर बैठा. २८ बरम राज किया नन्द गजा हुआ; उसके पीछे उमका बेटा महा
और अंग देशको जीतकर अपने गज्यमें मिलाया। पद्मनन्द गजा हुआ, वह भी मार हिन्दुस्तानका श्रेणिकके द्वारा जैन-धर्मका बड़ा भारी प्रचार हुआ। एक छत्र राजा हुश्रा और दुनियामें प्रसिद्ध हुश्रा, ईसासे ५५२ बरस पहले उसका बेटा अजातशत्रु उसके पीछ उमके आठ बंटोंका गज्य हुआ, (कुणिक) गद्दी पर बैठा। उसने अपने मामाओंमें जिनमें मुख्य मामल्यनन्द या धननन्द था. प्रजा लड़कर वैशाली और कौशलके गज्य भी जीत उनसे बहुत दुखी थी। ईसासे ३२६ बरम पहले, लिये। अजातशत्रुभी जैनो था; परन्तु बौद्ध चद्रगुप्त नामके एक जैनीने उनसे गज्य छीन प्रन्थोंमें उसको बौद्ध लिखा है । ईसास ५१८ बरस लिया, जिसका कथन आगे किया जायगा। पहले उसका देहान्त होगया, जिसके बाद उसका बटा दर्शक राजा हुआ । उसके बाद ईसासे ४८३ इनदिनों हिन्दुस्तानकी पश्चिमी सीमासे बरस पहले उसका बेटा अजउदयी राजा हुश्रा। लेकर यूरपके यूनान देश तक ईरान (फारिस) । उसने उनको भी जीत लिया और मगधकी के महाराजा दागका राज्य था। इम वंशके राजा राजधानी राजगृहसे हटाकर पाटलीपुत्र (पटना) बड़े अभिमानके साथ अपनेको आर्य-पुत्र कहा