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वर्ष किरण ५]
अदृष्ट शक्तियां और पुरुषार्थ
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फंक मार देंगे तो हमारा बच्चा जीता रहेगा, वह कोई ये मन्त्र क्यों नहीं मालूम हुए । परमपिता परमेश्वरने तावीज़ ( यन्त्र ) लिखकर देदेंगे तो उसको बांधनेसे ये मन्त्र बड़े-बड़े ब्रह्म-ज्ञानियोंसे क्यों छिपाये रक्खे और कोई बीमारी नहीं आएगी, उनके मन्त्रोंसे सर्व प्रकारकी इन अधर्मियोंको क्यों बता दिये ?
मारी दूर होजाएगी, पुत्रहीनोंको पुत्रकी प्राप्ति होजा- इन बातोंको विचारे कौन ? विचार होता तो प्रकएगी, अविवाहितोंका विवाह होजाएगा, झूठे मुकदमे मण्य ही क्यों होते, और क्यों इस प्रकार भटकते फिरते। फतह होजाएँगे, खेतमें खूब पैदावार होगी, आजीविका प्रकृतिकी रीति के अनुसार सीधा पुरुषार्थ करते और लग जाएगी, अन्य भी सब ही कार्योंकी सिद्धि होजाएगी, सबके सरताज बने बैठे रहते। साप बिच्छू-भिड़ ततय्या आदि जानवराका ज़हर उता- इनको इस प्रकार विचार शून्य देखकर और यह रनके वास्तेभी अब इन दुनियाँ --विजयी मुसलमानोक बात जानकर कि न ज्ञानियोंके जाने हुए देव भाषाके पासही जाना चाहिये, पण्डितोंके मन्त्र तो अब फीक मन्त्रों के स्थानमें मुसलमानों के अरबी भाषाके मन्त्रों पर पड़ गये हैं, इन शक्तिशाली मुसलमानोंकी जीती जाग
भी वैसा ही बल्कि उससे भी ज्यादा विश्वास हमार हिन्दू ती जोत है, इस कारण अब तो इनहींसे कारज सिद्ध
भाइयोंका होगया है, ग्रामके कुछ चालाक लोगोंने कराना उचित होगा । बस इतना विश्वास होने पर
__अपनी गँवारू भापामें भी मन्त्र पढ़ने शुरू कर दिये और मस्जिद में अज़ान देने वाला कोई गरीव अनपढ़ मुल्ला,
जब गांव के भोले लोगोंको उन गँवारू मन्त्रोंका विश्वास भीख मांगता फिरता हुमा कोई ग़रीब मुसलमान भी
होगया तो शहरोके बड़े-बड़े लोगों तकमें भी उनकी धाक पुजने लग जाता है, इन्हींके द्वारा अकर्मण्य और पुरु
र पुरु- बैठ गई । इन गँवारू भाषाके मन्त्री द्वाराभी दुनिया के पार्थहीन हिन्दुओंके सब कामोंकी सिद्धि होने लगता है !! सब काम सिद्ध होने लग गये। बल्कि इन मन्त्रीमें तो यहां
क्योंजी हिन्दू भाइयो ! तुम्हारे पण्डितो, पुजारियों तक बल आगया कि यदि किसीको कोई सांप काट ले और सन्यासियोंके जो मन्त्र थे, वे तो बड़े बड़े ब्रह्मज्ञा- तो मन्त्रबादी अपना गवारू मन्त्र पढ़कर बांसका एक नियोंको उनकी भारी भारी दुद्धर तपस्याके पश्चात् तिनका फंक देगा और वह तिनका उस सांपको पकड़ उनके आत्म-बल के द्वारा ही ज्ञात हुए थे, उन मन्त्रीम लावेगा और वह साप अपने मुँहसे उस मनुष्य के शरीर ईश्वरकी शक्ति विद्यमान थी, मन्त्रोंके बीजाक्षरों में ही में से जहर चम लेगा। सबही लोग गंवारू मन्त्रोंकी इस ईश्वरने अपनी सारी शक्तिको स्थापन कर रखा था। अद्भुत शक्ति पर विश्वास रखते हैं । परन्तु क्या किसीने जिनका उच्चारण होतेही कुछसे कुछ हो जाता है, मन्त्रों- ऐमा होते देखा है ? देखा नहीं तो ऐसोसे मना जरूर के उच्चारण करने में यदि एक छोटीसी मात्राका भी हेर है जिहोंने मन्त्र शक्तिका यह अद्भुत दृश्य अपनी फेर होजाय तो ग़ज़ब ही होजाय । इस कारण उच्च-जाति- आंखोंमे देखा है ? अच्छातो चलो ढुंढकर किसी ऐसे के बड़े-बड़े विद्वान ही इन मन्त्रीको साधत थे, बड़ी भारी आदमी से मिलें, जिसने अपनी प्रांखों यह अद्भुत दृश्य शुद्धि और पवित्रताई रखते थे, तबही यह मन्त्र उनको देखा हो, परन्तु हिन्दुस्तान भरमें फिर जाइये ऐसा कोई सिद्ध होते थे और उनके पास टिकते थे, परन्तु इन मुमल- न मिलेगा जिसने यह अचम्भा अपनी आंखों देखा हो । मानोंको तो तुम धर्मसे परान्मुख और ऐसे अशुद्ध अप हां ऐसे बहुत मिलेंगे जिन्होंने सुना है और सननेसे ही वित्र बतातेहो कि यदि ५० गज लम्बा भी फरश बिछा हो जिनको इस पर पूर्ण विश्वास है । हिन्दुस्तान में अनेक
और उसके एक कोने पर कोई मुसलमान बैठा हो तो, भाषा बोली जाती हैं-पञ्जाबी, हिंदुस्तानी, मारवाड़ी, उस फरसके दूसरे कोने पर बैठकर भी तुम पानी नहीं पूर्वी, बँगला उड़िया, गुजराती, मराठी, मदरासी पीसकते हो, तब ईश्वरीय शक्ति रखने वाले ये मन्त्र सबही प्रकारकी बोलियों में यह गँवारू मन्त्र बन इनके पास कहाँसे आगये और तुम्हारे ब्रह्म-ज्ञानियोंकी गये हैं । हिन्दुस्तानके विचारहीन लोगोंका