Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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(3) क्षेत्र Place, where the thing is found at the present time. (4) स्प र्शन Extent or the amount of space touched by it in all ages. (5) काल Time (6) अन्तर Interval (of time) (7) Hra Quality, i.e. that determinateness which is one with the being
of the object. (8) अल्पबहुत्वQuantity; the being so much withreference to apossible
__more or less, measurable or numberable amount.
सत, संख्या, क्षेत्र, स्पर्शन, काल, अन्तर, भाव, और अल्प-बहुत्व से भी सम्यग्दर्शन आदि विषयों का ज्ञान होता है।
___ इस सूत्र में वस्तु स्वरूप को अत्यन्त वैज्ञानिक प्रणाली से सविस्तार जानने के उपाय बताये गये हैं। षट्खण्डागम (धवला) कषायपाहुड, जयधवला की वर्णन प्रणाली पूर्ण रूप से इसके अनुरूप ही है। __1. सत्- वस्तु के अस्तित्व को सत् कहते हैं। प्रत्येक द्रव्य सत् स्वरूप है। अस्तित्व से रहित किसी भी द्रव्य की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। सत् के आधार पर ही संख्या, गुण, पर्यायें टिकती हैं। इसलिए पहले सत् का ग्रहण किया गया। ... 2. संख्या- वस्तु के परिणामों की गिनती को संख्या कहते हैं अथवा वस्तु के भेदों की गणना को संख्या कहते हैं।
3. क्षेत्र- वस्तु के वर्तमान काल विषयक निवास को क्षेत्र कहते हैं अर्थात् वर्तमान काल में वस्तु जहां रहती है उस आकाश प्रदेश को क्षेत्र कहते
4. स्पर्शन- वस्तु के तीन काल विषयक निवास को स्पर्शन कहते हैं अर्थात् वस्तु के भूतकालीन क्षेत्र तथा वर्तमान काल क्षेत्र और भविष्य काल क्षेत्र को स्पर्शने कहते हैं।
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