Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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कषाय के कारण उस मर्यादा से अधिक दिशा की इच्छा करना क्षेत्रवृद्धि है, ऐसा जानना चाहिए इन दिशाओं की मर्यादा का उल्लङ्घन प्रमाद, मोह और चित्तव्यासंग से होता है, ऐसा जानना चाहिए।
देशव्रत के अतिचार आनयनप्रेष्यप्रयोगशब्दरूपानुपातपुद्गलक्षेपाः। (31) The partial transgressions of the second Gunavrata i.e. aptad are: 1. आनयन
Sending for something from beyond the
limit. 2. प्रेष्यप्रयोग
Sending some one out beyond the limit. 3. शब्दानुपात
Sending one's voice out beyond limit e.g. by
telephone. 4. रूपानुपात
Making signs for persons beyond the limit
as the morse code with flags etc. 5. पुद्गलक्षेप Throwing something material beyond the
limit.
आनयन, प्रेष्यप्रयोग, शब्दानुपात, रूपानुपात और पुद्गलक्षेप ये देशविरति व्रत के पाँच अतिचार हैं। 1. आनयन- 'उसको लाओ' ऐसे आज्ञापन को आनयन कहते है। अपने संकल्पित देश से बाहर स्थित व्यक्ति को प्रयोजनवश कुछ पदार्थ लाने की आज्ञा देना आनयन है। 2.. प्रेष्यप्रयोग- ऐसा करो' इस प्रकार का विनियोग प्रेष्यप्रयोग है। स्वीकृत देश की मर्यादा से बाहर स्वयं न जाकर और दूसरों को न बुलाकर भी प्रेष्य (नौकर) के द्वारा इष्ट व्यापार सिद्ध करना प्रेष्यप्रयोग है अर्थात् स्वयं तो नहीं जाना परन्तु दूसरे को भेजकर काम करवाना ही प्रेष्यप्रयोग है। 3. शब्दानुपात- अभ्युत खाँसी आदि करना शब्दानुपात है। मर्यादा के बाहर कार्य करने वाले नौकरों का उद्देश्य लेकर खड़े होकर खाँसी या अन्य प्रकार से शब्द (हूँ हूँ----) करके नौकरों से कार्य कराना शब्दानुपात है।
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