Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan

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Page 609
________________ The red tinge (i.e. attachment), of a person whose ignorance is dispelled, supports qusterity and scriptiral knowledge; and like the red dawn of the rising sun is for the prosperity of all beings. अज्ञान रूप अंधकार को नष्ट कर देने वाले प्राणी के जो तप एवं शास्त्रविषयक अनुराग होता हैं वह सूर्य की प्रभातकालीन लालिमा के समान उसके अभ्युदय (अभिवृद्धि) के लिये होता है। आर्तध्यान का लक्षण एवं भेद आर्तममनोज्ञस्य संप्रयोगे तद्विप्रयोगाय स्मृतिसमन्वाहारः। (30) .. आर्तध्यान Painful concentration or monomonia is of 4 kinds. The first kind of monomonia is fig future onconnection with an unpleasing object to repeatedly think of separation from it. अमनोज्ञ पदार्थ के प्राप्त होने पर उसके वियोग के लिये चिन्ता-सातत्य का होना प्रथम आर्तध्यान है। बाधाकारी विष, कण्टक, शत्रु, शास्त्रादि अप्रिय वस्तुएँ अमनोज्ञ कहलाती हैं। जो विष कण्टक, शत्रु आदि अप्रिय है, उसे बाधा की कारण होने से अमनोज्ञ कहते हैं। अर्थान्तर (दूसरे पदार्थ) की ओर मन को न जाने देकर उसे बार-बार एक ही पदार्थ में लगाये रखना समन्वाहार है। स्मृति का समन्वाहार स्मृति समन्वाहार है। बाधाकारी विष, कण्टक आदि अप्रिय वस्तु का संयोग मिलने पर 'ये मुझसे दूर कैसे हों' इस प्रकार का संकल्प चिन्ता का प्रबन्ध आर्तध्यान कहा जाता है। ____ अनादि कालीन मोह एवं अविद्या आदि कुसंस्कार के कारण जीव दूसरे पदार्थों में इष्टानिष्ट आरोप कर लेता है। अनिष्ट संयोग होने पर उनको दूर करने के लिए बार-बार विचार करता है। उसकी ही योजना बनाता है। जब तक अनिष्ट संयोग होता है उसके मन में अनेक संकल्प विकल्प उठते हैं जिससे मन में विकार उत्पन्न होता है एवं विभिन्न मानसिक तनाव से ग्रस्त हो जाता है। इससे अनेक शारीरिक-मानसिक रोग के साथ-साथ पापबंध भी होता है, 594 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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