Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan

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Page 673
________________ (43) 72 कलायें (मूल्य 5.00 रु. (44) हिंसामय यज्ञ का प्रारम्भ क्यों (मूल्य 7.00 रु. (45) कथा-सौरभ (मूल्य 21.00 रु.) (46) कथा-पारिजात (मूल्य 15.00 रु.) (47) धर्म प्रवर्तक चौबीस तीर्थंकर (मूल्य 5.00 रु.) (48) जीने की कला (49) संस्कार (बृहत्) (50) कथा चिन्तामणि (51) सत्य धर्म - (मूल्य 5.00 रु.) प्रकाशन की ओर से साधु-संघों, स्वाध्याय शालाओं, धार्मिक शिक्षण संस्थाओं, शोधरत छात्रों, असमर्थ भाई-बहनों को पुस्तकें नि:शुल्क भेंट की जाती हैं। पुस्तकालय, वाचनालय शिक्षण संस्थाओं के लिए 25% छूट से शास्त्र दिये जायेंगे। सामान्य स्वाध्याय प्रेमियों के लिए 10% छूट है, डाक खर्च अलग से है। आजीवन सदस्य 2101.00 रु.। रूपये अग्रिम भेजने की आवश्यकता है। द्रव्यदाता आजीवन-सदस्य कार्य-कर्ताओं को संस्था की समस्त पुस्तकें नि:शुल्क मिलती है। आर्थिक दृष्टि से समर्थ सामान्य व्यक्ति से उचित मूल्य इसलिये प्राप्त किया जाता है कि जिससे साहित्य का अवमूल्यन न हो योग्य व्यक्ति को साहित्य प्राप्त हो, साहित्य का आदर हो, साहित्य प्रकाशन के लिये ज्ञान दान (सहयोग) हो, साधु आदि को नि:शुल्क साहित्य भेजने में आर्थिक आपूर्ति हो एवं उस सहयोग से अधिक से अधिक साहित्य प्रकाशन, प्रचार, प्रसार हो, द्रव्यदाता को उस द्रव्य से प्रकाशित प्रतियों की एक दशमांश प्रतियाँ भी नि:शुल्क प्राप्त होंगी पुस्तके छपवाने वाले यदि लागत रूपयों में से कुछ रूपये देने में असमर्थ होगें तो संस्थाः उसकी आर्थिक सहायता के साथ साथ अन्यान्य सहायता करके उनके नाम पर ही उसकी पुस्तक छपवा देगी। इसमें संस्था का कोई निहित स्वार्थ नहीं है। परन्तु ज्ञान-प्रचार का एक मात्र उद्देश्य है। निवेदक धर्म-दर्शन विज्ञान शोध प्रकाशन बड़ौत- 250611 मेरठ (उ. प्र.) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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