Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
View full book text
________________
4. रूपानुपात- अपने शरीर को दिखाना रूपानुपात है। 'मेरे रूप को (या मुझे) देखकर ये शीघ्र ही कार्य करेंगे' इस अभिप्राय से अपने शरीर को दिखाना रूपानुपात है ऐसा निर्णय किया जाता है। 5. पुद्गलक्षेप- पत्थर आदि का निपात पुद्गलक्षेप हैं। नौकर-चाकरों का उद्देश्य लेकर उनको संकेत करने के लिए कंकड़-पत्थर आदि फेंकना पुद्गलक्षेप कहा जाता है। ये पांच देशव्रत के अतिचार हैं।
अनर्थदण्डव्रत के अतिचार कन्दर्पकौत्कुच्यमौखर्यासमीक्ष्याधिकरणोपभोगपरिभोगानर्थक्यानि। (32) The partial transgression of the third Gunavrata' i.e. 3172fcusad are: 1. कन्दर्प
Poking fun at another. 2. कौत्कुच्य
Gesticulating and mischievous practical jo
king. 3. मौखर्य
Gossip, garrulity. .. 4. असमीक्ष्याधिकरण Overdoing a thing. 5. उपभोगपरिभोगानर्थक्य Keeping too many consumable and non-co
nsumable objects. कन्दर्प, कौत्कुच्य, मौखर्य, असमीक्ष्याधिकरण, और उपभोगपरिभोगानर्थक्य ये अनर्थदण्डविरति व्रत के पाँच अतिचार हैं। कन्दर्प- रागोद्रेक से प्रहासमिश्रित अशिष्ट वचनों का प्रयोग करना कन्दर्प है। चारित्र मोह के उदय से अपादित राग के उद्रेक से हास्ययुक्त वचनों का प्रयोग करना कन्दर्प कहा जाता हैं। कौत्कुच्य- हास्य वचन और राग का उद्रेक - इन दोनों के साथ काय की दुष्ट चेष्टा करना कौत्कुच्य है। इस चेष्टाओं में राग का समावेश होने से हास्य वचन और अशिष्ट वचन इन दोनों के साथ शरीर की कुचेष्टा करना कौत्कुच्य कहलाता है। अर्थात् काय की कुचेष्टाओं के साथ-साथ होने वाला हास्य और
454
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org