Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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1. सचित्ताहार
taking living things e.g. green vege
table. 2. सचित्तसम्बन्धाहार
taking any thing connected with a living things e. g. using a green leaf
as a plate. 3. सचित्तसम्मिश्राहार
Taking a mixture of living and non living things e. g hoi with fresh
water. 4. अभिषवाहार
Taking ophrodisiacs or strengthe
ning or exciting food. 5. दु:पक्वाहार
Taking badly cooked food. सचित्ताहार, सचित्त सम्बन्धाहार, सचित्त सम्मिश्राहार, अभिषवाहार और दुःपक्वाहार ये उपभोग परिभोगपरिमाण व्रत के पाँच अतिचार हैं। सचित्त :- चित्त के सहित सचित्त कहलाता हैं। चित्त नाम विज्ञान का है, विज्ञान नाम चेतना का है, इसलिए चेतना सहित द्रव्य को सचित्त कहते हैं। सचित्त सम्बन्ध :- उस चित्त के साथ उपश्लिष्ट है, उसे सम्बन्ध कहते हैं। उस जीवसहित सचित्त द्रव्य से सम्बन्धित वस्तु को सचित्त सम्बन्ध कहते हैं। जो दूसरी वस्तु से संसर्ग करे संयोग करे, उसी का नाम सम्बन्ध है। सचित्तसंमिश्र :- सचित्त के साथ व्यतिकीर्ण (व्याप्त) है, उसे सचित्तसम्मिश्र कहते हैं। वा ‘सम्मि श्रयते' अर्थात् सचित्त और अचित्त दोनों मिलकर एकमेक हो जाएँ, परस्पर भेद नहीं रहे, वह सचित्त सम्मिश्र कहलाता है।
प्रमाद तथा मोह के कारण क्षुधा, तृषा से पीड़ित व्यक्ति की जल्दी-जल्दी में सचित्त सम्बन्ध, सचित्त सम्मिश्र आदि में भोजन, पान अनुलेपन तथा परिधान (वस्त्रादि) आदि के लिए प्रवृति हो जाती है।
__ अभिषव आहार द्रव और उत्तेजक भोजन को अभिषव कहते हैं। द्रव सिरका आदि और उत्तेजक, कामोद्दीपक पुष्टिकारक भोजन का आहार अभिषव कहलाता है। दुष्पक्व आहार :- जो अच्छी तरह नहीं पका हुआ हो वह दुष्पक्व कहलाता है। जो चावल, दाल आदि ऊपर से पक गए हों पर भीतर नहीं पके हो अर्थात्
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