Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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पर भी यदि ख्याति हो रही हो तो जीवन की अभिलाषा करना और शारीरिक पीड़ा के कारण मरने की इच्छा करना जीवितमरणाशंसा है। (3) मित्रानुराग - पूर्वकृत, मित्रों के साथ धूलि में खेलने आदि का स्मरण मित्रानुराग है। अर्थात् बचपन में जिनके साथ धूलि में खेले हैं, जिन्होंने आपत्ति में सहायता दी है और सुख-उत्सव आदि में जो सहयोगी बने हैं उन मित्रों का स्मरण करना मित्रानुराग है। (4) सुखानुबन्ध - पूर्वानुभूत प्रीतिविशेष का स्मृतिसमन्वाहार सुखानुबन्ध है। 'मैने यह खाया, इस प्रकार के पलंग पर सोता था, इस प्रकार क्रीडा करता था' इत्यादि पूर्व भुक्त क्रीडा, शयन, भोग आदि का स्मरण करना सुखानुबन्ध कहा जाता है। (5) निदान - भोगों की आकांक्षा से जिसमें चित्त लगा दिया जाता है, वह निदान हैं। विषय सुखों की उत्कट अभिलाषा भोगाकांक्षा है। उस भोगाकांक्षा से जिसमें नियत रूप से चित्त लगा दिया जाता है वह निदान है, अर्थात् भविष्यत्काल में भोगों की वाञ्छा करना निदान है। ये पाँच सल्लेखनावृत के अतिचार हैं।
दान का लक्षण
अनुग्रहार्थं स्वस्यातिसर्गों दानम्। (38) Charity is the giving off one's belongings for the good of one's self
. and of others. अनुग्रह के लिये अपनी वस्तु का त्याग करना दान है। . - 'स्व और परोपकार के लिये अपने धन का त्याग करना दान है। स्व और पर का उपकार अनुग्रह है। स्वोपकार और परोपकार को अनुग्रह कहते हैं। साधुओं को दान देने से दाता के पुण्य संचय होता है, या स्वोपकार है और शुद्ध आहार करने से साधुओं के ज्ञान-ध्यान की वृद्धि होती है, वह परोपकार है। ___'स्व' शब्द धन का पर्यायवाची है। 'स्व' शब्द के आत्म आत्मीय जाति, धन आदि अर्थ होते हैं, परन्तु यहां पर 'स्व' शब्द का अर्थ धन का पर्यायवाचक ग्रहण करना चाहिये। स्व-पर का अनुग्रह करने लिए धन का त्याग करना दान है।
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