Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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The minimum (for the stellars) is 1/8 of that (i.e. a palya.) ज्योतिषियों की जघन्य स्थिति उत्कृष्ट स्थिति का आठवाँ भाग है। सूर्य देव की उत्कृष्ट स्थिति एक हजार वर्ष अधिक एक पल्य प्रमाण है। शुक्र की उत्कृष्ट स्थिति सौ वर्ष अधिक एक पल्य प्रमाण है। बृहस्पति की उत्कृष्ट स्थिति पूर्ण पल्य (एक पल्य) प्रमाण है, अधिक नहीं। बुध सोम और मंगल की उत्कृष्ट स्थिति अर्ध पल्य प्रमाण है। नक्षत्रों (कृतिका, अश्विनी आदि) की उत्कृष्ट स्थिति आधे पल्य प्रमाण है। तारागणों की उत्कृष्ट आयु एक पल्य के चतुर्थ भाग प्रमाण है। तारा और नक्षत्रों की जघन्य स्थिति पल्य के आठवें भाग प्रमाण है। शेष सूर्य, चन्द्रमा, सोम, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि इनकी जघन्य आयु पल्य के चतुर्थ भाग प्रमाण जाननी चाहिए।
- लौकान्तिक देवों की आयु
लौकान्तिकानामष्टौ सागरोपमाणि सर्वेषाम्। (42) (The age) of the Laukantikas (is) 8 Sagaras, (it is the same) for all. सब लौकान्तिकों की स्थिती आठ सागर है।
अभ्यास प्रश्न 1. सामान्यत: देवों के कितने भेद हैं ? 2. चार प्रकार देवों के सामान्य भेद कितने हैं? . 3. किस-किस स्वर्ग के देवों के सुख किस प्रकार हैं? 4. ज्योतिष्क देवों का सविस्तार वर्णन करो? . 5. अढ़ाई द्वीपस्थ ज्योतिष्क देव किसकी प्रदिक्षणा देते हैं ? 6. दिन-रात आदि काल विभाग किसके कारण होता है ? 7. कहाँ के ज्योतिषी देव गति नहीं करते हैं ? 8. वैमानिक देवों का सविस्तार वर्णन करो? 9. नीचे-नीचे के देवों से ऊपर-ऊपर के देवों की क्या विशेषता है ? 10. लौकान्तिक देवों का विशेष वर्णन करो? । 11. तिर्यंच किसे कहते हैं, उसकी परिभाषा लिखों? 12. देवों की उत्कृष्ट एवं जघन्य आयु का वर्णन करो? .
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