Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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अतिक्रम कहलाता है। विरूद्धराज्य (राज्य के नियमों के विरूद्ध) राज्यपरिवर्तन के समय अल्प मूल्य वाली वस्तुओं को अधिक मूल्य की बताना। अर्थात् अल्प मूल्य प्राप्त वस्तु को महाकीमत में देने का प्रयत्न करना विरूद्धराज्यतिक्रम
हीनाधिकमानोन्मान- क्रय-विक्रय प्रयोग में कूटप्रस्थ, तराजू आदि को हीनाधिक रखना होनाधिकमानोन्मान है। प्रस्थादि मान कहलाते हैं और तराजू आदि उन्मान। दूसरे को देते समय कम बाँटों (कम वजन वाले बाँटों) से देना और लेते समय अधिक वजन वाले बाँटों का प्रयोग करना हीनाधिकमानोन्मान कहलाता है। ___प्रतिरूपक व्यवहार- कृत्रिम सुवर्ण आदि बनाना प्रतिरूपक व्यवहार है। कृत्रिम सुवर्ण आदि के द्वारा वञ्चनापूर्वक व्यवहार करना अर्थात् कृत्रिम वस्तुओं को असली वस्तु में मिलाकर दूसरों को ठगना प्रतिरूपक व्यवहार कहलाता है। ये अदत्तादान विरति के पाँच अतिचार हैं।
ब्रह्मचर्याणुव्रत के पाँच अतिचार परविवाहकरणेत्वरिका परिगृहीतापरिग्रहीतागमनानङ्गक्रीड़ा कामतीव्राभिनिवेशाः। (28) The partial transgression of the fourth vow Traderet are: 1. परविवाहकरण
- Bringing about the marriage of people who are not of one's own
family. 2. इत्वरिकापरिग्रहीतागमन - Intercourse with a married immo
ral woman. 3. इत्वरिकाअपरिग्रहीतागमन ।
- Intercourse with an unmarrried
immoral woman. 4. अनङ्गक्रीडा
- Unnatural sexual intercourse. 5. कामतीव्राभिनिवेश - Intense sexual desire. परविवाहकरण, इत्वरिकापरिग्रहीतागमन, इत्वरिकाअपरिग्रहीतागमन,
मिन
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