Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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3. कूटलेखक्रिया
4. न्यासापहार
5. साकारमंत्रर्भद
Forgery and perjury.
- Unconscientious dealing by means of speech.
-
- Divulging what one guesses by seeing the behavious or gertures of others, who are consulting in private.
मिथ्योपदेश, रहोभ्याख्यान, कूटलेखक्रिया, न्यासापहार और साकारमंत्र भेद ये सत्याणुव्रत के पाँच अतिचार हैं।
मिथ्योपदेश - मिथ्या, अन्य प्रवर्तन या यर्थार्थ क्रियाओं का छिपाना मिथ्योपदेश है । अभ्युदय और निःश्रेयसार्थक क्रियाओं में अन्यथा प्रवृत्ति करा देना या उनके प्रति उलटी बात कहना मिथ्योपदेश कहलाता है ।
रहोभ्याख्यान - संवृत (गुप्त) का प्रकाशन रहोभ्याख्यान है । स्त्री-पुरुषों के द्वारा एकान्त में किये गये रहस्य (संकेत, बातचीत आदि) का उद्घाटन करना रोयाख्यान है ऐसा जानना चाहिये ।
कूटलेखक्रिया - परप्रयोग से अनुक्त पद्धतिकर्म कूटलेखक्रिया है । किसी के नहीं कहने पर भी किसी दूसरे की प्रेरणा से यह कहना कि 'उसने ऐसा कहा है या ऐसा अनुष्ठान किया है' इस प्रकार वञ्चन के निमित्त ( ठगने के लिए) लेख लिखना कूटलेखक्रिया है।
न्यासापहार - हिरण्य आदि निक्षेप में अल्पसंख्या का अनुज्ञा वचन न्यासापहार है। सुवर्ण आदि गहना रखने वाले द्वारा भूल से अल्पश: ( कम ) माँगने पर जानते हुए भी 'जो तुम माँगते हो ले जाओ' इस प्रकार अनुज्ञा वचन कहना, उसका कम देना न्यासापहार नामक अतिचार कहलाता है।
साकारमन्त्रभेद-प्रयोजन आदि के द्वारा पर के गुप्त अभिप्राय का प्रकाशन साकारमन्त्रभेद है। प्रयोजन, प्रकरण, अङ्गविकार अथवा भूक्षेप आदि के द्वारा दूसरे के अभिप्राय को जानकर ईर्षावश उसे प्रकट कर देना साकारमन्त्रभेद है। सत्याणुव्रत के पाँच अतिचार हैं ।
ये
अचौर्याणुव्रत के पाँच अतिचार स्तेनप्रयोगतदाहृवादानविरूद्धराज्यातिक्रमहीनाधिकमानोन्मान
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