Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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13. तिर्यंच आयु का आम्रव कैसे होता है ? 14. मनुष्यायु के आस्रव के क्या-क्या कारण हैं? 15. देवायु का आस्रव किन-किन कारणों से होता है ? 16. अशुभ नाम कर्म का आस्रव क्यों होता है ? 17. तीर्थंकर प्रकृति का आस्रव किन-किन कारणों से होता है उन कारणों ___ का वर्णन करो। 18. नीच गोत्र व उच्च गोत्र का आस्रव किन-किन कारणों से होता है ? 19. अन्तराय कर्म का आस्रव यह जीव क्यों करता हैं ?
दूसरों के दुर्गुण देखो, ग्रहण करने के लिए नहीं, परन्तु स्वयं दुर्गुणों से बचने के लिए। एक पंथ से केवल दो काज करना महानता का परिचायक नहीं परन्तु अनेक काज करना महानता है। गुरु के नाम पर शिष्य का नाम होना, पिता के नाम पर पुत्र का नाम होना महत्व का नहीं, परन्तु शिष्य के नाम पर गुरु का नाम, पुत्र के नाम पर पिता का नाम होना महत्त्व का है। सुख, शांति, ज्ञान, आत्मा का गुण धर्म होने से इसे प्राप्त करना प्रत्येक प्राणी का केवल कर्त्तव्य ही नहीं बल्कि अधिकार है। पहले कर्तव्य पालन करो, अधिकार स्वयमेव मिल जायेगा। दुनियाँ झुकती है झुकाने वाला चाहिए। आदर्श परम्परा से भी महान् सत्य है। सत्य जब विकृत हो जाता है तब रूढ़ि जन्म लेती है।
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