Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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लिये सहायता करता है। इस प्रकार विश्व के लिये छह द्रव्य परस्पर सहयोग देकर अनादि से सह-अवस्थान कर रहे हैं एवं करते रहेंगे।
पुद्गल द्रव्य का लक्षण
स्पर्शरसगन्धवर्णवन्तः पुद्गलाः। (23) Pudgalal or matter has four chief characteristics associated with it, viz; touch, taste, smell and colour. स्पर्श, रस, गन्ध और वर्ण वाले पुद्गल होते हैं।
19 एवं 20 नम्बर सूत्र में पुद्गल द्रव्य के उपकार का वर्णन किया गया पर अभी तक पुद्गल द्रव्य के लक्षण का वर्णन नहीं किया गया था। इस सूत्र में पुद्गल द्रव्य के लक्षण का वर्णन किया गया है।
जो स्पर्श किया जाता है, उसे या स्पर्शन मात्र को स्पर्श कहते है। कोमल, कठोर, भारी, हलका, ठंडा, गरम, स्निग्ध और रुक्ष के भेद से वह आठ प्रकार का है। जो स्वाद रूप होता है या स्वादमात्र को रस कहते हैं। तीता, खट्टा, कडुवा, मीठा, और कसैला के भेद से वह पाँच प्रकार का है। जो सूंघा जाता है या सूंघने मात्र को गंध कहते है। उपरोक्त सुगन्ध-दुर्गन्ध ऐसे दो भेद है। दृश्यमान श्वेत आदि वर्ण है। वह पाँच प्रकार है। ये स्पर्श आदि के मूल भेद हैं। वैसे, प्रत्येक के संख्यात, असंख्यात और अनन्त भेद होते हैं। जैसे रस में मधुर रस को लें- चावल भी मधुर है, केला भी मधुर है, गन्नारस भी मधुर है, गुड, शक्कर और चीनी भी मधुर है। प्रत्येक की मधुरता में हीनाधिकता है क्योंकि मधुर रस में जो अनुभागप्रतिच्छेद (शक्त्यंश) है उसमें हीनाधिकता है। इसी प्रकार उपरोक्त प्रत्येक द्रव्य के शक्ति-अंश में भी हीनाधिकता है। इसी प्रकार स्पर्श, गन्ध और वर्ण वाले कहे जाते हैं। इनका पुद्गल द्रव्य से सदा सम्बन्ध है।
पुद्गल की पर्याय शब्दबन्धसौक्ष्म्यस्थौल्यसंस्थानभेदतमश्छायाऽऽतपोद्योतवन्तश्च। (24) शब्द-बन्ध-सौम्य-स्थौल्य-संस्थान-भेद-तमः छाया-आतप-उद्योत-वन्तश्च पुद्गल। भवन्ति।
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