Book Title: Swatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Author(s): Kanaknandi Acharya
Publisher: Dharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
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स्निग्ध और रूक्षत्व गुण चाहिये। परन्तु प्रत्येक स्निग्धत्व एवं रूक्षत्व अंश में बंध नहीं होता है उसके लिए कुछ विशेष नियम है। वह नियम यह है कि, किसी भी जघन्य गुण का बंध नहीं होता है समान गुणों का समान जाति के साथ भी बंध नहीं होता है। तब प्रश्न होता है कि किस अंश वाले परमाणु के साथ किसका बंध होता है ? इस प्रश्न का उत्तर इस सूत्र में दिया गया है, यथा-कम से कम दो गुण वाले स्निग्ध या रूक्ष के साथ दो अधिक अर्थात् चार गुण वाले स्निग्ध रूक्ष के साथ बंध होता है। इसका खुलासा निम्न प्रकार
जिसमें दो शक्त्यंश अधिक हो उसे द्वयधिक कहते हैं। . शंका - वह दूयधिक कौन हुआ ? समाधान - चार शक्त्यंशवाला। सूत्र में आदि शब्द प्रकार वाची है। शंका - वह प्रकार रूप अर्थ क्या है ? समाधान – दूयधिकपना। इससे पाँच शक्त्यंश आदि का ज्ञान नहीं होता। तथा
इसमें यह भी तात्पर्य निकल आता है कि समानजातीय या असमान जातीय दो अधिक आदि शक्त्यंश वालों का बन्ध होता है, दूसरों का नहीं। जैसे दो स्निग्ध शक्त्यंश वाले परमाणु का एक स्निग्ध शक्त्यंश वाले परमाणु के साथ, दो स्निग्ध शक्त्यंश वाले परमाणु के साथ और तीन स्निग्ध शक्त्यंश वाले परमाणु के साथ बन्ध नहीं होता। हाँ, चार स्निग्ध शकत्यंश वाले परमाणु के साथ अवश्य बन्ध होता है। तथा उसी दो स्निग्ध शक्त्यंश वाले परमाणु का पाँच स्निग्ध शक्त्यंश वाले परमाणु के साथ बन्ध नहीं होता। इसी प्रकार तीन स्निग्ध शक्त्यंश वाले परमाणु का पाँच स्निग्ध शक्त्यंश वाले परमाणु के साथ बन्ध होता है। किन्तु आगे-पीछे के शेष स्निग्ध शक्त्यंश वाले परमाणु के साथ बन्ध नहीं होता। चार स्निग्ध शक्त्यंश वाले परमाणु का छह स्निग्ध शक्त्यंश वाले परमाणु के साथ बन्ध होता है किन्तु आगे-पीछे के शेष स्निग्ध शक्त्यंश वाले परमाणु के साथ बन्ध नहीं होता। इसी प्रकार यह क्रम आगे भी जानना चाहिये। तथा दो रूक्ष शक्त्यंश वाले परमाणु का एक, दो और तीन रूक्ष शक्त्यंश वाले परमाणु के साथ बन्ध नहीं होता।
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